दरअसल, जिस ढकोरा गांव में डेंगू के मरीज मिले हैं वहां चार साल पहले बना स्वास्थ्य केंद्रआज तक नहीं खुला और परिसर में ग्रामीण मवेशी बांध रहे हैं। उपचार तो दूर यहां के अस्पातल ने आज तक न डॉक्टर को देखा न ही नर्स को।गांव वाले छोटी सी बीमारी के लिएभी या तो स्थानीय झोलाछाप का सहारा लेते हैं या फिर ब्यावरा आते हैं। विभाग की लापरवाही का शिकार हो रहे ग्रामीण क्षेत्रों ने एक बार फिर हकीकत बयां कर दी है।
कैसे दूर होगा पिछड़ापन
कॉमन रिव्यू मिशन के साथ ही राजगढ़ पिछड़े जिलों में भी शामिल है, जिनकी मॉनीटरिंग के निर्देश पीएमओ ने जिला प्रशासन को दिए हैं लेकिन हकीकत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे यह जिला अपने पिछड़ेपन को दूर कर पाएगा? पिछड़े जिलों की श्रेणी में शामिल जिले में खासकर स्वास्थ्य सुविधाओं की ही कमियां सामने आई थीं, जिनमें प्रसूताओं की केयर और कुपोषण बड़ी चुनौती थी।
कई दिनों से अस्पताल नहीं खुला, हमें तो पता ही नहीं यह बना कब? डॉक्टर, नर्स कोई भी आज तक नहीं दिखा। टीका लगाने एएनएम तक सुविधाएं सीमित है।
-हरिओम दांगी, रहवासी, ढकोरा
अस्पताल कभी खुला नहीं है, लोगेां को इधर-उधर उपचार करवना पड़ता है।
-रामस्वरूप, रहवासी, ढकोरा
पूरा गांव बीमार पड़ा है न गांव में सफाई होती है न ही कोई डॉक्टर्स, नर्स यहां आती। अब यहां कोई आए तो हम परेशानी बताएं न। वहां कोई आता ही नहीं है।
-शिवचरण दांगी, रहवासी, ढकोरा