पूरी लाइन डल जाने के बाद उस दौरान होने वाले खर्च के हिसाब से संबंधित उपभोक्ताओं से शुल्क लिया जाएगा। इसके के तहत लगभग सभी घरों में लाइन डाली जाएगी। हालांकि अभी इसमें तीन साल का समय लगेगा। वहीं, भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे प्रदेश के बड़े शहरों में भी फिलहाल यह डीपीआर और कागजों तक ही सीमित है, लेकिन शहर सहित राजगढ़ जिले के नजदीक गेल इंडिया प्रालि होने के कारण संभावना जताई जा रही है कि यहां तीन साल में ही सही लेकिन इसे गति मिल जाएगी।
पेट्रोल पम्प से गैस लाइन डलेगी
जानकारी के अनुसार पहले सर्वे के बाद शहर के तीन नामी पेट्रोल पम्प को चुना जाएगा। वहीं पर गैस स्टोरेज टैंक बनाया जाएगा। उक्त टैंक के माध्यम से ही सीधे सप्लाई लाइन में जाएगी और घरों तक पहुंचेगी। घरों में बिजली मीटर के हिसाब से ही एक गैस मीटर लगेगा जो कि सबंधित घर में हो रही गैस की खपत का निर्धारण करेगा। गैस की मात्रा के हिसाब से ही उसका बिल आएगा और वही जमा करने होगा। इससे न सिर्फ अत्याधुनिक तकनीकि से जनता को जोड़ा जाएगा बल्कि एजेंसियों के चक्कर लगाने परेशानी से भी निजात मिल जाएगी।
&फिलहाल हम मेजरमेंट तैयार कर रहे हैं। सर्वे के बाद पूरी रिपोर्ट गैल को सौंपी जाएगी। उक्त कंपनी ही इसमें आगे का निर्धारण करेगी। इसके बाद टैंक बनेंगे और टैंक से सीधे घरों में गैस सप्लाई होगी।
-राजेश्वर सिंह, मैनेजर, सर्वे कंपनी, पुणे