हर दिन की तरह शुक्रवार को भी सुबह से ही किसान कलेक्ट्रेट के सामने स्थित सरकारी गोडाउन पर यूरिया खाद को लेने के लिए पहुंचे। लेकिन यहां समय पर अधिकारी नहीं पहुंचे और जब पहुंचे तो उन्होंने यूरिया की जगह डीएपी खाद ले जाने के लिए कहा।
ऐसे में किसान इसका विरोध करने लगे और देखते ही देखते यह मामला इतना बढ़ गया, कि वह सामने से ही निकल रहे हाईवे पर पहुंचे और पूरी सडक़ पर पत्थर जमा कर बैठ गए। इनमें न सिर्फ पुरुष बल्कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थे। जिन्होंने विपणन संघ के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि यहां कुछ रसूखदारों को पिकअप भर-भर के खाद का वितरण किया जा रहा है जबकि कई किसान ऐसे हैं जो दिनभर लाइन में लगे रहते हैं। उन्हें हर दिन शाम के समय खाद खत्म होने की बात कहते हुए वापस लौटा दिया जाता है।
यहां किसानों ने आरोप लगाया कि जो बोरी 2७7 मैं देने के निर्देश है उसके 3५0 रुपए तक लिए जा रहे हैं। कई किसान इतना पैसा देने को तैयार नहीं होता तो उसे पीछे कर दिया जाता है। हालांकि ऐसे कोइ प्रमाण उपलब्ध नहीं किए।
वाहनों की लगी कतार एम्बुलेंस को निकाला
जाम के दौरान चाहे बड़े ट्रक हो या फि र यात्री बस और अन्य वाहन किसी भी वाहन को यहां से निकलने नहीं दिया जा रहा था। हां इतना जरूर है जाम के दौरान दो एंबुलेंस जब वहां पहुंची तो उनके लिए रास्ता साफ कर दिया। इसी बीच एक कार चालक भी एंबुलेंस के पीछे अपना वाहन लेकर निकलने का प्रयास करने लगा। जिसके बाद किसानों ने गाड़ी फोडऩे के लिए हाथों में पत्थर उठा लिए।
उसी समय पुलिस मौके पर पहुंची और किसानों को समझाते हुए वाहन चालक को भी पीछे की तरफ जाने के लिए कहा। जब मामला तहसीलदार तक पहुंचा तो उन्होंने किसानों को समझाया और वापस गोडाउन लेकर पहुंचे। जहां यूरिया खाद का वितरण शुरू करवाया। लेकिन सवाल उठता है कि यदि तहसीलदार के पहुंचने पर किसानों को यूरिया दिया गया तो फि र पहले जाम की नौबत क्यों बऽी।
विभाग का अपना डेटा
विपणन संघ कि यदि बात करें तो उनके अधिकारियों का कहना है की प्रदेश सरकार द्वारा जो राजगढ़ जिले के लिए खाद्य का लक्ष्य तय किया गया था, 80 प्रतिशत खाद अभी तक किसानों में वितरित की जा चुकी है। वहीं दिसंबर माह में 10000 टन खाद और आ रही है। जिसमें चंबल की एक रैक आज ही उतरेगी। जिसमें 3000 टन खाद आ रहा है, उन्होंने कहा की अलग-अलग पानी में अलग-अलग खाद की जरूरत होती है। उसी हिसाब से खाद जिले में आती है। किसान इसे स्टोरेज न करें और जितनी आवश्यकता है उतनी ही खाद्य लें, ताकि सभी किसानों को यह मिल सके। उत्तेजित होकर कोई गलत कदम न उठाएं। जिससे आमजन को परेशानी।
मुझे जब जानकारी लगी तो में मौके पर पहुंचा और किसानों को समझाया। खाद का वितरण जारी है। प्रशासन लगातार व्यवस्थाओं को बनाने में लगा है।
राकेश खजुरिया तहसीलदार राजगढ़