मानसून को लेकर किसान बोवनी की तैयारी कर रहे है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण बात खेतों में ट्रैक्टर से प्लाऊ चलाने की हो या फिर बीज खरीदी या अन्य सामग्री की। जिन किसानों का भुगतान हो गया। वे तो तैयारी में जुट गए, लेकिन अभी भी ३० से ४० प्रतिशत किसान ऐसे है जिनका या तो आधा भुगतान हुआ है या फिर भुगतान हुआ ही नहीं है। ऐसे में वे खेत में बोवनी की तैयारी की जगह बैंकों के चक्कर लगाते दिख जाते है।
बैंकों में इन दिनों कैश की किल्लत है। जिसके कारण कई किसानों के खातों में राशि होने के बावजूद उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा या फिर आधा अधूरा पेमेंट दिया जा रहा है। इस व्यवस्था के खिलाफ किसान आक्रोषित है। क्योंकि हर दिन वे पेट्रोल पर खर्च कर गाड़ी से या फिर किराया लगाकर राजगढ़ तो पहुंच रहे है, लेकिन भुगतान नहीं होने से निराश लौट जाते है।
फैक्ट फाइल
-१३० करोड़ रुपए प्रथम चरण में आया।
-११० करोड़ रुपए किसानों के खातों में डाले जा चुके।
-२० करोड़ रुपए शेष।
-३५ हजार क्विंटल माल अभी भी मंडियों में परिवहन के लिए पड़ा।
चना, मसूर तो दूर की बात मैं तो गेहूं के भुगतान के लिए भी चक्कर लगा रहा हूं। पता नहीं कब भुगतान होगा।
– लल्लू बना, किसान संवासड़ा
हम बैंक के चक्कर लगा रहे है, लेकिन भुगतान नहीं हो रहा। कभी 10 हजार देते है कभी 20 हजार तो कभी खाली वापस लौटा देते है।
– श्रीलाल, किसान देवली
हमारे द्वारा कब से चना बेचा गया, लेकिन अपने ही पैसे के लिए परेशान हो रहे है। लाइन में खड़े रहते है। कई बार वापस लौट जाते है। 40 हजार का विड्राल भरा था काटकर 20 हजार का कर दिया।
– धनराजसिंह, किसान रावलियापुरा
हड़ताल के कारण कुछ परेशानी हुई थी, लेकिन अब स्थिति सामान्य है। पैसा भी आ गया है। किसानों को बता दे कि जितना भुगतान है उतना दिया जाएगा। किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
– विशेष श्रीवास्तव, महाप्रबंधक सीसीबी राजगढ़