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५० लाख के फर्जीवाड़े में कलेक्टर के निर्देश पर भी नहीं हुई एफआईआर

locationराजगढ़Published: May 07, 2018 10:05:06 am

Submitted by:

Ram kailash napit

तत्कालीन कलेक्टर तरुप पिथोड़े ने लिखा था नरसिंहगढ़ मंडी के दो लिपिकों के खिलाफ थाने में प्रकरण दर्ज कराने का पत्र

Narsinghgarh Agricultural

Narsinghgarh Agricultural Produce Market

राजगढ़. घोटालेबाज लगातार भ्रष्टाचार कर रहे है, लेकिन कहीं न कहीं उनके ही वरिष्ठ कार्यालय से उन्हें बचा लिया जाता है। जो इस बात को सिद्ध करते है कि कहीं न कहीं पूरा तंत्र ऐसे प्रकरणों में लिप्त रहता है। मामला नरसिंहगढ़ मंडी का है। जहां मंडी में तैनात लिपिक देवेन्द्र नामदेव और अखिलेश शर्मा ने भोजन व्यवस्था में भारी घोटाला किया। जांच में सिद्ध हुआ कि ५० लाख से अधिक का घोटाला हुआ है।
मामले में तत्कालीन कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए एक नहीं तीन पत्र लिखे। जिनमें मंडी सचिव, मंडी बोर्ड भोपाल और प्रबंधक संचालक मंडी बोर्ड शामिल है। सारे सबूतों के साथ की गई मामले की जांच के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो घीसालाल राठौर निवासी पचोर ने पूरे मामले की शिकायत लोकायुक्त में दर्ज करा दी। वर्ष २०११ से १५ तक हुए इस घोटाले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
वहीं लोकायुक्त में दर्ज की गई शिकायत के बाद राजगढ़ कलेक्टर को विधि सलाहकार-१ द्वारा पिछले पांच माह में चार पत्र जारी किए गए, लेकिन एक में भी वे नहीं पहुंचे या फिर कोई जानकारी नहीं दी। जिसके बाद १५ मार्च को वापस व्यक्तिगत उपस्थित होने के लिए लेटर लिखा गया, लेकिन उस मामले में भी कोई रिपोर्ट लोकायुक्त तक नहीं पहुंची।
आडिट रिपोर्ट में और बड़ा खुलासा
५० लाख के घोटाले की जांच कलेक्टर के निर्देशों पर हुई थी। जिसमें किसानों की दर्ज संख्या की तुलना में काफी अधिक भुगतान निकाला गया। वहीं शिकायतकर्ता की माने तो वर्ष २०१६ की आडिट रिपोर्ट में करीब डेढ़ करोड़ की अनियमिताएं सामने आई है।
शिकायत के बाद लाखों का भुगतान बदला हजारों में
मामले में शिकायत वर्ष २०१५ में की गई। इससे पहले वर्ष २०११-१२ से लेकर वर्ष २०१३-१४ तक दस लाख से कम भुगतान नहीं हुआ। जबकि किसानों की संख्या कम थी और कूपन अधिक दर्ज कर दिए गए। जबकि इस शिकायत के बाद वर्ष २०१४ से लेकर वर्ष २०१५-१६ में अधिकतम भुगतान २६ हजार ही हुआ।

फैक्ट फाइल
वर्ष कूपन की संख्या भोजन पर खर्च
२०१२ २५३००० १२.६५०००
२०१३ ९७४०० १०.०५०००
२०१४ १७१००० १०.३९०००
२०१५ २६००० २६०००
२०१६ २१००० २१०००


यह तो सिर्फ नरसिंहगढ़ मंडी का मामला है। पूरे प्रदेश की २५७ मंडियों में यही हाल है। हर जगह फर्जीवाड़ा हो रहा है, लेकिन ऊपर के अधिकारी मिले हुए है। जो दोषियों को बचाते है। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर ने कई बार एफआईआर के लिए लिखा, लेकिन मंडी प्रबंधन ने इसे जरा भी गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए अब मैंने लोकायुक्त में शिकायत की है।
घीसालाल राठौर, शिकायतकर्ता
यह मामला मंडी बोर्ड में विचाराधीन है। हम कार्रवाई नहीं कर सकते। मंडी बोर्ड के अनुसार ही कार्रवाई होगी।
आरके जैन, मंडी सचिव नरसिंहगढ़
इस मुद्दे के कागजात चेक किए जाएंगे। संबंधित मामले में कार्रवाई के लिए राज्य शासन को भेजेंगे।
कर्मवीर शर्मा, कलेक्टर,राजगढ़
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