५० लाख के घोटाले की जांच कलेक्टर के निर्देशों पर हुई थी। जिसमें किसानों की दर्ज संख्या की तुलना में काफी अधिक भुगतान निकाला गया। वहीं शिकायतकर्ता की माने तो वर्ष २०१६ की आडिट रिपोर्ट में करीब डेढ़ करोड़ की अनियमिताएं सामने आई है।
मामले में शिकायत वर्ष २०१५ में की गई। इससे पहले वर्ष २०११-१२ से लेकर वर्ष २०१३-१४ तक दस लाख से कम भुगतान नहीं हुआ। जबकि किसानों की संख्या कम थी और कूपन अधिक दर्ज कर दिए गए। जबकि इस शिकायत के बाद वर्ष २०१४ से लेकर वर्ष २०१५-१६ में अधिकतम भुगतान २६ हजार ही हुआ।
फैक्ट फाइल
वर्ष कूपन की संख्या भोजन पर खर्च
२०१२ २५३००० १२.६५०००
२०१३ ९७४०० १०.०५०००
२०१४ १७१००० १०.३९०००
२०१५ २६००० २६०००
२०१६ २१००० २१०००
यह तो सिर्फ नरसिंहगढ़ मंडी का मामला है। पूरे प्रदेश की २५७ मंडियों में यही हाल है। हर जगह फर्जीवाड़ा हो रहा है, लेकिन ऊपर के अधिकारी मिले हुए है। जो दोषियों को बचाते है। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर ने कई बार एफआईआर के लिए लिखा, लेकिन मंडी प्रबंधन ने इसे जरा भी गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए अब मैंने लोकायुक्त में शिकायत की है।
घीसालाल राठौर, शिकायतकर्ता
यह मामला मंडी बोर्ड में विचाराधीन है। हम कार्रवाई नहीं कर सकते। मंडी बोर्ड के अनुसार ही कार्रवाई होगी।
आरके जैन, मंडी सचिव नरसिंहगढ़
इस मुद्दे के कागजात चेक किए जाएंगे। संबंधित मामले में कार्रवाई के लिए राज्य शासन को भेजेंगे।
कर्मवीर शर्मा, कलेक्टर,राजगढ़