चार घंटे का सफर सात घंटे में
राजगढ़Published: Aug 17, 2015 11:20:00 pm
हाईवे एनएच-3 और एनएच-12 पर
बड़े-बडे गड्ढे हो जाने के कारण सड़क पूरी तरह से बदहाल हो चुका है, इससे वाहन
चालकों और यात्रियों बसों को काफी परेशानी
ब्यावरा। हाईवे एनएच-3 और एनएच-12 पर बड़े-बडे गड्ढे हो जाने के कारण सड़क पूरी तरह से बदहाल हो चुका है, इससे वाहन चालकों और यात्रियों बसों को काफी परेशानी होती है। बदहाल सड़क के कारण लोगों को इंदौर जाने के लिए चार घंटे के स्थान पर सात और भोपाल के लिए दो घंटे के स्थान पर साढ़े चार घंटे का समय लगता है। हालांकि पूरी तरह बदहाल हो चुके सड़क के कारण बस ऑपरेटरों ने इंदौर-भोपाल रूट की करीब 200 बसें बंद कर दी और जितनी बस चल रही हैं उनकी भी हालत खराब है।
इंदौर के लिए ट्रेन, भोपाल के लिए मजबूरी
एनएच-3 की बदहाली को देखते हुए इंदौर रूट के अधिकतर यात्री कोटा-इंदौर ट्रैन से सफर तय कर रहे हैं, लेकिन मजबूरी में जाने वाले यात्री खिलचीपुर, जीरापुर, व्याहा उज्ौन होते हुए भी इंदौर जा रहे हैं। इसके अलावा भोपाल जाने वाले यात्रियों को तो मजबूरन क्षतिग्रस्त मार्ग का ही सहारा लेना पड़ रहा है। खास बात यह है इन बदहाल हो चुके सड़क के कारण गंभीर मरीजों के लिए काफी परेशानी होती है। ब्यावरा या जिला मुख्यालय से रेफर करने वाले मरीजों के लिए यह सड़क काफी तकीलफदायक है।
एक ही राउंड में हो जाती है हालत खराब
गुना से इंदौर जाने में हमें करीब 11 घंटे का सफर तय करना पड़ता है। ब्यावरा से हमें सीधे सात घंटे लगते हैं। पूरे रास्ते में बड़े-बड़े गड्ढे हो रहे हैं, इससे आए दिन गाड़ी का स्टेपनी पंक्चर हो जाता है। दूधी और कालीसिंध का पुल हमेशा परेशान कर देता है। रोड की हालत खराब होने से कमाई से ज्यादा तो गाड़ी में खर्च हो जाता है।-शफीक खान, ड्राइवर, कमला बस, गुना
पत्रिका खास-खास
इंदौर-भोपाल से जिले के सबसे बड़े कमर्शियल प्लेस ब्यावरा में रोजाना माल आता है।
अप-डाउनर के अलावा बड़ी संख्या में लोग इंदौर-भोपाल रोजाना जाते हैं।
भोपाल पास होने और लिंक जुड़ी होने से अधिकतर लोगों को बिजनेस और ऑफिशियल परपच से भी जाना होता है।
दो प्रमुख हाईवे होने और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से रोजाना एक या दो इमरजेंसी केस भोपाल जाते ही है।
रोजाना इंदौर-भोपाल रूट पर करीब 300 बसों (सामान्य दिनों में) की आवाजाही।
पूरा रोड खुद चुका है बार-बार लगता है जाम
ब्यावरा से चलने के बाद सीधे साढ़े चार घंटे में बस लाल घाटी पहुंच पाती है। गेयर बदल-बदल कर हालत खराब हो जाती है। रोड के गड्ढों के अलावा साइडें भी खराब हो जाने से बार-बार जाम लग जाता है। गाड़ी को ज्यादा स्पीड में भी नहीं चला सकते। ऎसे में पूरा मुसीबत का सफर है। एक ही राउंड में आने के बाद घर आराम करना पड़ता है।
-लोकेश सोनी, ड्राइवर, महामाया बस, ब्यावरा
….और विफर गईं थीं मंत्रीं
हाल ही में जिले के दौरे पर आईं जिले की प्रभारी मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया बदहाल रोड को देख विफर गईं। उन्होंने सफर के दौरान ही एनएचआई प्रबंधन से बात कर रोड को दुरूस्त करने के निर्देश दिए और सख्ती से कहा कि समय रहते रोड ठीक नहीं किया तो ठीक नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि मंत्री सारंगपुर चुनाव के प्रचार-प्रसार को लेकर निकलीं थीं। रास्ते में बदहाल रोड को देख उन्होंने एनएचआई के अफसरों पर गुस्सा निकाला।
200 करोड़ का काम छोड़कर भाग गया
रोड का काम कर रही ट्रांसट्राय कंपनी दो सौ करोड़ का काम कर बीच में छोड़कर चली गई है। अब बीच में हम भी क्या कर सकते हैं। फाइनेंशियल परेशानी आ जाने से वे चले गए हैं। इसलिए रिपेयरिंग तक शुरू नहीं हो पाई है। हालांकि हमने बोला है तो कंपनी का ठेकेदार 20-22 अगस्त तक काम करने का बोल रहा था। यदि वह रेडी होता है तो महज 10 दिन में रोड की मरम्मत करवा दी जाएगी। -एस.आर. अहिरवार, प्रोजेक्टर मैनेजर, एमपीआरडीसी, भोपाल
ठेकेदार ही नहीं सुनते
हमने मंत्री के फोन के बाद टेंप्रेररी व्यवस्था के लिए बोला है, लेकिन नया ठेकेदार सुनने को तैयार नहीं है। हमने बारिश के दौरान भी रिपेयरिंग करवाई थी, दूधी पुल भी ठीक किया था, लेकिन लगातार बारिश ने सब बिगाड़ दिया था। अब हमने गुना से देवास के बीच 208 किमी रोड का ठेका नई जितेंद्रसिंह कंपनी को दिया है। -जे.बालाचंदर, परियोजना निदेशक, एनएचआई, गुना