एनएचएआई का तर्क : प्रोफाइल के हिसाब से ही बनेगा
फोरलेन के ऊपर-नीचे बनाने के मामले में एनएचएआई का तर्क है कि प्रोजेक्ट में जो डीपीआर है और जिस हिसाब का उसका प्रोफाइल है उसी हिसाब से बनाया जाता है। कईबार जरूरत पडऩे पर पहाड़ काटने पड़ते हैं तो कई बार जमीन खोदकर नीचे भी रोड निकाले जाते हैं। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाता है कि रोड की चौड़ाई यदि कम है तो सामने से आने वाले वाहनों की रोशनी रिलेक्ट न करे, ताकि हादसों पर नियंत्रण किया जा सके। रोड का ऊपर-नीचे होने से फोरलेन के प्रोजेक्ट को कोईअसर नहीं पड़ता।
जितना काम टांसट्रॉय ने किया उससे आगे का कर रही सीडीएस
उक्त फोरलेन काफी विवादों में रहा है। 2012 में इसका काम हैदराबाद की टांसट्रॉय कंपनी को दिया गया था। बजट गड़बड़ा जाने के बाद उसने बीच में ही काम छोड़ दिया था। अब जितना काम वह कर चुकी थी, उससे आगे का ही काम सीडीएस को दिया गया है। यानि 511 करोड़ रुपए से ही बचे हुए काम को निर्माण एजेंसी कर रही है। इसीलिए जहां रोड बना हुआ है उससे आगे का ही काम एजेंसी द्वारा किया जा रहा है।
हम बचा हुआ काम कर रहे हैं
हम निर्माणएजेंसी ट्रांसट्रॉय का बचा हुआ काम कर रहे हैं, दो साल पहले हुए टेंडर में यही शर्त रखी गईथी। उसी आधार पर काम किया जा रहा है, जहां जैसी स्थिति में रोड बना दिया गया है वहां वैसा ही रहेगा।
-एस. के. झा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सीडीएस (निर्माण एजेंसी)
जहां जैसी प्रोफाइल है वैसा ही बनेगा
निमय के हिसाब से ही काम हो रहे हैं, ट्रांसट्रॉय का बचा हुआ काम ही सीडीएस निपटा रही है। जहां तक बात जमीन के लेवल से रोड के ऊपर-नीचे होने की है तो इसे इंजीनियरिंग मापदंडों के हिसाब से ही किया है। जहां जो प्रोफाइल है उसी हिसाब से काम होगा।
-विवेक जायसवाल, रीजलन मैनेजर, एनएचएआई, भोपाल