scriptfour lane : 105 किमी का फोरलेन: कहीं 3 फिट नीचे तो कहीं 3 फिट ऊपर | four lane : 3 feet below, 3 feet above road | Patrika News

four lane : 105 किमी का फोरलेन: कहीं 3 फिट नीचे तो कहीं 3 फिट ऊपर

locationराजगढ़Published: Jun 29, 2019 05:39:01 pm

ब्यावरा. अगर आप भोपाल रोड Bhopal road से गुजर रहे हैं और उबड़-खाबड़ और ऊपर-नीचे वाला फोरलेन up-down four lane देख रहे हैं तो चकित न हों। आपको आश्चर्य करने की कोई जरूरत नहीं भोपाल से ब्यावरा के बीच 105 किमी के फोरलेन का डीपीआर DPR ही कुछ इस तरह का है। कहीं रोड से तीन फीट नीचे तो कहीं ऊपर बना रोड road ऐसा ही रहने वाला है।
दरअसल, भोपाल से ब्यावरा के बीच जिस स्ट्रक्चर में काम किया जा रहा है उसी हिसाब का रहेगा। हालांकि यह पहली ही बारिश में आफत भी बनेगा। खेतों में बना दी गई नालियां और जमीन के नीचे खोदकर बनाएगएरोड में परेशानीआ सकती है। निर्माणएजेंसी ने साइडें भरने के रुपएबचाते हुएउसी जगह की खुदाई कर उसी मिट्टी को बगल में काम ले लिया। साथही कई गांवों को जोडऩे वाले मार्गभी ऊपर-नीचे रह गए जिससे बारिश में उन्हें दिक्कत आना तय है।
 
ऐसी कई तकनीकि चीजें हैं जो पूरे रोड पर जगह-जगह आधी-अधूरी है, जिस पर एजेंसी ने अभी तक काम नहीं निपटाया है। यह भी माना जा रहा है कि वर्ष-2012 में बीच में काम छोड़कर जाने वाली निर्माण एजेंसी के समय के ही डीपीआर को एनएचएआईने स्वीकृति दे दी।उसी डिजाइन से काम किया जा रहा और प्रोजेक्ट के बजट में भी संशोधन नहीं हुआ। इसी लिए निर्माण एजेंसी सीडीएस उसी स्थिति में काम निपटा रही है जैसे में छोड़ा गया था।

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कहीं ऊपर तो कहीं जमीन से नीचे बना दिया फोरलेन

रोड से तीन फीट नीचे रोड, साइडें भी मिट्टी की
भोपाल से ब्यावरा के बीच बने फोरलेन पर तरह-तरह की चीजें सामने आ रही हैं। कहीं रोड से तीन से चार फीट नीचे तक खुदाई कर रोड बना दिया गया तो कहीं ऊपर उठा दिया। वहीं, अधिकतर जगह काली मिट्टी से साइडें भरी है जो कि पहली ही बारिश में आफत बन सकती है। इसे लेकर राहगिरों के साथही कई तकनीकि जानकारों का असमंजस भी दूर नहीं हो पा रहा है। हाल ही में बने गुना-ब्यावरा और ब्यावरा-देवास फोरलेन को देखकर लोग इसका अंदाजा लगा रहे हैं जो कि बिल्कुल अलग है।


एनएचएआई का तर्क : प्रोफाइल के हिसाब से ही बनेगा
फोरलेन के ऊपर-नीचे बनाने के मामले में एनएचएआई का तर्क है कि प्रोजेक्ट में जो डीपीआर है और जिस हिसाब का उसका प्रोफाइल है उसी हिसाब से बनाया जाता है। कईबार जरूरत पडऩे पर पहाड़ काटने पड़ते हैं तो कई बार जमीन खोदकर नीचे भी रोड निकाले जाते हैं। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाता है कि रोड की चौड़ाई यदि कम है तो सामने से आने वाले वाहनों की रोशनी रिलेक्ट न करे, ताकि हादसों पर नियंत्रण किया जा सके। रोड का ऊपर-नीचे होने से फोरलेन के प्रोजेक्ट को कोईअसर नहीं पड़ता।


जितना काम टांसट्रॉय ने किया उससे आगे का कर रही सीडीएस
उक्त फोरलेन काफी विवादों में रहा है। 2012 में इसका काम हैदराबाद की टांसट्रॉय कंपनी को दिया गया था। बजट गड़बड़ा जाने के बाद उसने बीच में ही काम छोड़ दिया था। अब जितना काम वह कर चुकी थी, उससे आगे का ही काम सीडीएस को दिया गया है। यानि 511 करोड़ रुपए से ही बचे हुए काम को निर्माण एजेंसी कर रही है। इसीलिए जहां रोड बना हुआ है उससे आगे का ही काम एजेंसी द्वारा किया जा रहा है।


हम बचा हुआ काम कर रहे हैं
हम निर्माणएजेंसी ट्रांसट्रॉय का बचा हुआ काम कर रहे हैं, दो साल पहले हुए टेंडर में यही शर्त रखी गईथी। उसी आधार पर काम किया जा रहा है, जहां जैसी स्थिति में रोड बना दिया गया है वहां वैसा ही रहेगा।
-एस. के. झा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सीडीएस (निर्माण एजेंसी)


जहां जैसी प्रोफाइल है वैसा ही बनेगा
निमय के हिसाब से ही काम हो रहे हैं, ट्रांसट्रॉय का बचा हुआ काम ही सीडीएस निपटा रही है। जहां तक बात जमीन के लेवल से रोड के ऊपर-नीचे होने की है तो इसे इंजीनियरिंग मापदंडों के हिसाब से ही किया है। जहां जो प्रोफाइल है उसी हिसाब से काम होगा।
-विवेक जायसवाल, रीजलन मैनेजर, एनएचएआई, भोपाल

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