दरअसल, यात्रियों की सुविधा के लिए 98 लाख रुपए की लागत से बनाया गया फुटओव्हर ब्रिज पहली बारिश भी नहीं झेल पाया। जिस एफओबी का फरवरी-2019 में महज चार माह पहले ही उद्घाटन किया गया, जिसे देखने न सिर्फ डीआरएम बल्कि जीएम भी पहुंचे वही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
बारिश के कारण न सिर्फ उसका बेसमेंट धंस गया बल्कि आस-पास की मिट्टी भी नीचे खिसक गई। एफओबी के एक हिस्से में प्लेटफॉर्म एक में लगाए गए पैवर्स ब्लॉक करीब एक-एक फीट नीचे तक धंस गए।
वहीं, दो नंबर प्लेटफॉर्म पर तो एफओबी की सीढिय़ों से बेस ही दूर हो गया, नीचे की मिट्टी ही धंस गई और पानी के साथ बह निकली। इस न सिर्फ रेल्वे के आईओड्ब्ल्यू व अन्य तमाम प्रकार के मैकेनिकल विभाग की हकीकत उजागर हुई है बल्कि यात्रियों को इससे खतरा बना हुआ है और जिम्मेदार अधिकारियों ने अभी तक सुध नहीं ली है।
पांच साल इंतजार किया, तब स्वीकृत हुआ, उसमें भी धांधली!…
जानकारी के अनुसार ब्यावरा सहित जिले की जनता के लिए के मात्र सुखद कहे जाने वाले रेलवे स्टेशन पर करीब पांच साल की लगातार मांग व तमाम प्रयास के बाद एफओबी की सौगात मिली थी। ऐसे में माना जा रहा है कि अब वह भी रेल्वेकर्मियों की धांधली की भेंट चढ़ गया।
यहां आस-पास के बड़ी संख्या से जुड़े गांवों, कस्बों के यात्रियों का भी आना-जाना है। इलेक्ट्रिफिकेशन वाली लाइन हो जाने के बाद ट्रेनें भी बढ़ेंगी और एक के साथ ही दो नंबर प्लेटफॉर्म भी अपग्रेड हो जाएगा।
ऐसे में इस तरह के घटिया फुट ओव्हरब्रिज से जनता की उम्मीदें लगातार टूट रही हैं। अब इसका दोबारा किस स्तर का मैंटेनेंस होगा यह रेल्वे तय नहीं कर पाया है?
फैक्ट-फाइल
– 98 लाख का है एफओबी।
– 01-1.5 फीट तक धंसे पैवर्स ब्लॉक।
– 03 करोड़ रुपए मैंटेनेंस के नाम पर खर्च।
– 10-12 ट्रेनों की है आवाजाही।
– 500 यात्रियों को रोजाना आना-जाना।
– 04 माह पहले हुआ था उद्घाटन।
(नोट : रेल्वे से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार)
98 लाख का एफओबी, तीन करोड़ का मैंटनेंस हुआ हवा…
करीब 98 लाख रुपए महज फुट ओव्हरब्रिज के लिए रेलवे ने स्वीकृत किए थे और तीन करोड़ से अधिक रुपए जीएम के निरीक्षण से पहले स्टेशन को संवारने में लगाए थे।
महज बाहरी चकाचौंध दिखाने के लिए रेलवे के तमाम जिम्मेदार अधिकारियों ने मनमाना बजट यहां खर्च किया। पार्क, हाईमास्ट, रैलिंग, पार्किंग, सफाई, टॉयलेट इत्यादि के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक डाले लेकिन तमाम काम की हकीकत निरीक्षण के बाद ही खुलने लगी।
बेसमेंट खराब नहीं हुआ है, पैवर्स ब्लॉक अंदर धंसे हैं जिसकी जानकारी मुझे है। उसकी जल्द ही रिपेयरिंग की जाएगी। ऐसा जनरली हो जाता है यहां रोलर लाकर दो दबाई नहीं होती, इसलिए दिक्कत आती है।
– अभिषेक शर्मा, आईओडब्ल्यू, रेलवे , शाजापुर
मैं संबंधितों से बात करता हूं, आप हमे कुछ डिटेल उपलब्ध करवा दीजिए। हमारी जानकारी में यह पूरा मामला नहीं है, हमारे हिसाब से तो सब ठीक है। मैं दिखवाता हूं।
– एके रघुवंशी, एडीआरएम (इंफ्रास्ट्रक्चर), पश्चिम मध्य रेलवे , भोपाल