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खेतों में कटी पड़ी सोयाबीन की फसल सडऩे की कगार पर

locationराजगढ़Published: Sep 24, 2018 01:27:56 pm

Submitted by:

Amit Mishra

लगातार तीन दिन हुई बारिश के बाद बिगड़ा किसानों का गणित

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खेतों में कटी पड़ी सोयाबीन की फसल सडऩे की कगार पर

राजगढ़. पिछले तीन दिन हुई तेज और रिमझिम बारिश ने किसानों के खेतों में कटी पड़ी सोयाबीन, मूंग, उड़द की फसलों को बर्बाद सा कर दिया। खेतों में पड़ी फसलों पर जैसे ही पानी लगा। वह सडऩे लगी। अभी भी आसमान में छाये बादलों से उन किसानों के चेहरों पर भी चिंता की लकीरे हैं, जिनकी फसलें कटी नहीं, लेकिन पककर खेतों में खड़ी हैं।

समय-समय पर हुई बारिश से किसानों के चेहरे चार दिन पहले तक अच्छी फसल आने को लेकर खिले हुए थे। लेकिन अचानक मौसम विभाग की चेतावनी के बाद हुई तेज बारिश के कारण कई जगह खेतों में पानी भर गया और देखते ही देखते कई जगह पक चुकी फसलों को जमीन पर गिरा दिया तो जिले में 30 से 40 प्रतिशत के लगभग फसलें कटी हुई पड़ी थी। ऐसे में पानी खेतों में भरने से वह फसलें सड़ चुकी है और उनके पास उठाने के लिए भी कुछ नहीं रहा। एक तरफ किसानों पर कर्ज का बोझ और दूसरी तरफ प्राकृतिक आपदा ने आर्थिक रूप से जिले के किसानों की कमर तोड़ दी है।

पहले ही काट चुके कर्ज की राशि
केसीसी के माध्यम से किसानों ने जो कर्ज लिया था। वह दो माह पहले आई बीमा की राशि से पहले ही काट लिया गया है। जबकि इस कर्ज को चुकाने की ड्यू डेट 31 दिसंबर है। ऐसे में एक बार फिर किसान बर्बाद फसलों से परेशान है। जहां किसान इनका मुआवजा और बीमा मांग रहे हैं। वहीं कर्ज देने वाले बैंक अपनी किस्त पहले ही काट चुके हैं। जबकि बर्बाद हो रही फसलों का बीमा है। जिसकी प्रीमियम जून माह में किसान भर चुके हैं और दिसंबर की राशि अगस्त माह में बैंकों ने काट ली।

पहले ही काट चुके कर्ज की राशि
केसीसी के माध्यम से किसानों ने जो कर्ज लिया था। वह दो माह पहले आई बीमा की राशि से पहले ही काट लिया गया है। जबकि इस कर्ज को चुकाने की ड्यू डेट 31 दिसंबर है। ऐसे में एक बार फिर किसान बर्बाद फसलों से परेशान है। जहां किसान इनका मुआवजा और बीमा मांग रहे हैं। वहीं कर्ज देने वाले बैंक अपनी किस्त पहले ही काट चुके हैं। जबकि बर्बाद हो रही फसलों का बीमा है। जिसकी प्रीमियम जून माह में किसान भर चुके हैं और दिसंबर की राशि अगस्त माह में बैंकों ने काट ली।

 

करीब छह बीघा की फसल काटकर खेत में सूखने के लिए रखी थी। लेकिन अचानक हुई बारिश में कटी हुई फसल सड़ गई।
बालूसिंह दांगी, किसान रोस्या

जितनी भी फसल थी। वह काट ली थी। ऐसा नहीं पता था कि पानी आफत बनकर आएगा। इस पानी ने पूरी फसलें बर्बाद कर दी।
रामदयाल दांगी, किसान, चाटूखेड़ा

 

25 प्रतिशत से ज्यादा यदि नुकसान होता है तो बीमा या मुआवजा की श्रेणी में आता है। एक ही रात बारिश हुई है तो ऐसा कोई नुकसान नहीं हुआ है।
विजेन्द्र रावत, एसडीएम राजगढ़

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