भारतीय संस्कृति (Indian culture) में झूला झूलने की परम्परा वैदिक काल से ही रही है। भगवान श्रीकृष्ण राधा के संग झूला झूलते थे। मान्यता है कि इससे प्रेम बढऩे के साथ ही प्रकृति से जुडऩे की प्रेरणा मिलती है। सनातन धर्म और हिंदू ग्रंथों में भी इसका उल्लेख है। उदनखेड़ी निवासी 76 वर्षीय रामगोपाल राठी बताते हैं कि राधा-कृष्ण के प्रेम को जीवन में प्रेम का प्रतीक माना जाता था। गोकुल, वृंदावन में उनके झूला झूलने के किस्से काफी ख्यात रहे हैं। सभी यह बात जानते भी हैं, लेकिन आज की आधुनिक परंपराओं ने इसे ढंक दिया, स्वरूप को ही बदल डाला। अब फिर से उस जमाने को दोहराने का समय है, ताकि सावन को जीवंत किया जा सके।