इसमें किसी के कमीशन का खेल है या फिर बजट में कमी लेकिन इतना जरूर है कि इस तरह के भोजन से मरीजों की सेहत कैसे सुधरेगी। यही कारण है कि इस भोजन को देखकर ही कई मरीज अपनी थाली जस की तस छोड़ देते हैं और कुछ मरीज थाली लेने से ही इनकार कर देते हैं।
जिला चिकित्सालय में मरीजों को दिए जाने वाले चावल की यदि बात करें तो उनकी गुणवत्ता कमजोर है, लेकिन यह चावल कितने रुपए में खरीदा जा रहा है यह जांच का विषय है। क्योंकि जो चावल अभी तक वहां दिया जा रहा है वह कहीं ना कहीं कंट्रोल का ही नजर आता है। जबकि दलिया की जहां तक बात है वह बहुत ही मोटा पिसवाकर मरीजों को दिया जाता है।
ऐसे में इस दलिया को लेने से ही मरीज इनकार कर देते हैं। बता दें कि दलिया सुबह नाश्ते के समय मरीजों को दिया जाता है। सुबह दिए जाने वाले नाश्ते में मरीज को चाय, दूध, दलिया, टोस्ट या बिस्किट देने का प्रावधान है लेकिन नाश्ते से टोस्ट और बिस्किट गायब हैं। जब हमने मरीजों से रविवार को मैन्यू के अनुसार दिए जाने वाले भोजन की बात की तो उन्होंने बताया कि दूध, दलिया तो मिला है, लेकिन बिस्किट और टोस्ट नहीं दिए गए।
सड़े केले तक पहुंचा दिए
दो दिन पहले एनआरसी में भर्ती कुपोषित बच्चों को पोषण आहार के रूप में जो केले भिजवाए गए। वह सड़े हुए थे जिसे मरीज के परिजनों ने देखते ही खाने से इंकार कर दिया है। ऐसे में एनआरसी में मौजूद स्टाफ ने वह केले वापस करवाएं, लेकिन बताया जा रहा है कि प्रबंधन ने केले वापस करने को लेकर नाराजगी व्यक्त की।
सबको खबर पर साध रखी है चुप्पी
घटिया क्वालिटी के भोजन को लेकर सीएमएचओ, सिविल सर्जन तक को जानकारी है। एनआरसी के माध्यम से लिखित में तक शिकायत की गई है। जबकि अन्य वार्ड जैसे सामान्य वार्ड या फिर प्रसूति वार्ड यहां भी मरीज अपनी व्यथा अधिकारियों को बता चुके हैं। लेकिन सुधार की संभावना नजर नहीं आती।
कभी भी मैन्यू के अनुसार पूरा भोजन नहीं
जिला चिकित्सालय में मरीजों को दिए जाने वाले भोजन का चार्ट तैयार है और उसी चार्ट के अनुसार हर दिन निर्धारित मरीजों की संख्या के अनुसार कुछ लिपिक की मिलीभगत से यह भुगतान करा लिया जाता है। लेकिन 7 दिन में एक भी दिन मैन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जाता।
प्रदेश के मामा ध्यान दें- यहां तो गर्भवती महिलाओं से तक हो रहा है धोखा
गर्भवती महिलाओं की जहां तक बात की जाए तो उन्हें मैन्यू के अनुसार नाश्ते में लड्डू और फल देना है। लेकिन सिर्फ उन प्रसूताओं को जिनकी डिलेवरी हो चुकी है उन्हें ही दूध दलिया के साथ लड्डू दिया जाता है। वह भी निर्धारित वजन से कम का लड्डू और फल का तो कोई ठिकाना ही नहीं है।
वहीं अस्पताल में मौजूद कुछ महिलाओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि प्रदेश के मामा मुख्यमंत्री जी को इस ओर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यहां तो सीधे गर्भवती महिलाओं को ही भोजन देने में धोखा हो रहा हैं। ऐसे में उनके आने वाले भांजे व भांजियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो सकता है।