जो कह रहे लोड ज्यादा है, उनसे पूछें- सिंचाई के दौरान क्या था?
सिंह ने कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि इस समय लोड ज्यादा है इसलिए हम लोड शिफ्टिंग करेंगे वे जनता और किसानों को बताएं कि सिंचाई के दौरान लोड क्या था? क्या दिक्कत आखिरकार आई थी। अब ऐसी कौन सी मशीनरी अचानक से चल गई कि लोड झेल नहीं पा रहे। जबकि इस समय सभी प्रकार के मोटर पम्प लगभग बंद पड़े हैं। किसान गर्मियों में सिंचाई न के बराबर ही करते हैं, फिर लोड कहां से गड़बड़ा गया? रबी के सीजन से आधी सप्लाई भी अब वर्तमान में बिजली की नहीं होती, बावजूद इसके सप्लाई मैनेज नहीं हो पा रही है।
ग्रामीणों का आरोप- हमें क्या वोट समझा, जो अब काम नहीं रहा नेताओं को?
लगातार बिजली कटौती को लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश है। उनका कहना है कि हमें क्या सिर्फ वोट समझ रखा है, जो जब चाहा बिजली काट दी, जब चाहा चालू कर दी। ब्यावरा के धान्याखेड़ी निवासी राधे सौंधिया ने बताया कि बिजली कंपनी मनमानी पर उतर आई है और नेता ध्यान नहीं दे रहे। इससे खासी परेशानी ग्रामीणों को हो रही है। बिजली के बिल भी सब जमा कर रहे हैं और सख्ती भी कंपनी वालों की जारी है फिर पर्याप्त जिली देने में क्या दिक्कत है?
सिंह ने कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि इस समय लोड ज्यादा है इसलिए हम लोड शिफ्टिंग करेंगे वे जनता और किसानों को बताएं कि सिंचाई के दौरान लोड क्या था? क्या दिक्कत आखिरकार आई थी। अब ऐसी कौन सी मशीनरी अचानक से चल गई कि लोड झेल नहीं पा रहे। जबकि इस समय सभी प्रकार के मोटर पम्प लगभग बंद पड़े हैं। किसान गर्मियों में सिंचाई न के बराबर ही करते हैं, फिर लोड कहां से गड़बड़ा गया? रबी के सीजन से आधी सप्लाई भी अब वर्तमान में बिजली की नहीं होती, बावजूद इसके सप्लाई मैनेज नहीं हो पा रही है।
ग्रामीणों का आरोप- हमें क्या वोट समझा, जो अब काम नहीं रहा नेताओं को?
लगातार बिजली कटौती को लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश है। उनका कहना है कि हमें क्या सिर्फ वोट समझ रखा है, जो जब चाहा बिजली काट दी, जब चाहा चालू कर दी। ब्यावरा के धान्याखेड़ी निवासी राधे सौंधिया ने बताया कि बिजली कंपनी मनमानी पर उतर आई है और नेता ध्यान नहीं दे रहे। इससे खासी परेशानी ग्रामीणों को हो रही है। बिजली के बिल भी सब जमा कर रहे हैं और सख्ती भी कंपनी वालों की जारी है फिर पर्याप्त जिली देने में क्या दिक्कत है?
करार नहीं संभाल पाए, हमने करके दिखाया था
बेसिक आईपीपीएस को देने को लिए इन्टस्टाल्ड केपिसिटी में जनरेटिंग कंपनी और प्राइवेट आईपीपी से करार होता है, जो ये संभाल नहीं पाए। 24 हजार मेगावाट से अधिक बिजली है फिर क्या दिक्कत इन्हें सप्लाई में आ रही है। यदि वाकई में नहीं संभल रहा है तो हमें दे दें जिम्मेदारी, हम चलाकर बताएंगे।
-प्रियव्रत सिंह, पूर्व ऊर्जा मंत्री, मप्र शासन (विधायक खिलचीपुर)
लोड शेडिंग प्लॉन्ड नहीं होती
जो लोड शेडिंग होती है उसी के अनुरूप जहां लोड बढ़ता है वहीं हम कटौती करते हैं। जहां ज्यादा लोड होता है वहां की स्थिति ऑनलाइन शो होती है, फिर वहीं बिजली ट्रिप की जाती है। डिमांड इस बार ज्यादा बढ़ी है और प्रोडक्शन नहीं है, इसलिए दिक्कत आ रही है। यह प्लॉन्ड नहीं होता है, जैसी जरूरत होती है वैसे कटौती करते हैं।
-स्वाति सिंह, सीजीएम, एमपीपीसीटीएल, मप्र शासन
बेसिक आईपीपीएस को देने को लिए इन्टस्टाल्ड केपिसिटी में जनरेटिंग कंपनी और प्राइवेट आईपीपी से करार होता है, जो ये संभाल नहीं पाए। 24 हजार मेगावाट से अधिक बिजली है फिर क्या दिक्कत इन्हें सप्लाई में आ रही है। यदि वाकई में नहीं संभल रहा है तो हमें दे दें जिम्मेदारी, हम चलाकर बताएंगे।
-प्रियव्रत सिंह, पूर्व ऊर्जा मंत्री, मप्र शासन (विधायक खिलचीपुर)
लोड शेडिंग प्लॉन्ड नहीं होती
जो लोड शेडिंग होती है उसी के अनुरूप जहां लोड बढ़ता है वहीं हम कटौती करते हैं। जहां ज्यादा लोड होता है वहां की स्थिति ऑनलाइन शो होती है, फिर वहीं बिजली ट्रिप की जाती है। डिमांड इस बार ज्यादा बढ़ी है और प्रोडक्शन नहीं है, इसलिए दिक्कत आ रही है। यह प्लॉन्ड नहीं होता है, जैसी जरूरत होती है वैसे कटौती करते हैं।
-स्वाति सिंह, सीजीएम, एमपीपीसीटीएल, मप्र शासन