दरअसल ब्यावरा में ऑनलाइन खरीदी के सेटअप को न मंडी प्रबंधन समझ पाया न ही व्यापारी इसके लिए तैयार हो पाए। राष्ट्रीय कृषि बाजार में तरह-तरह के दावे किए जा रहे थे कि यहां बैठा हुआ किसान देश की किसी भी मंडी में अपनी उपज के सही दाम ले पाएगा लेकिन हकीकत में ऐसा एक दिन भी नहीं हो पाया।
यहां तक कि इसे प्रायोगिक तौर पर भी शुरू नहीं किया जा सका। हालात ये हैं कि मसूर को यहां ऑनलाइन खरीदी का जिंस तय किया गया, जिसमें पहले लोकल और बाद में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर खरीदी करने की योजना बनाई गई थी लेकिन ट्रॉयल के दौरान भी वह सफल नहीं हो पाया।
अभी भी कहीं भी ऑनलाइन खरीदी शुरू नहीं हो पाई है। उल्लेखनीय है कि प्रैक्टिकल के तौर पर ब्यावरा को शाजापुर मंडी से जोड़ा गया था। लोकल स्तर पर ही ऑनलाइन खरीदी ढंग से नहीं हो पाई। ऐसे में फिलहाल ई-नाम, ऑनलाइन खरीदी का काम ठप है।
इसके पीछे व्यापारियों की ओर से एक बड़़ा मुद्दा यह भी सामने आया था कि ऑनलाइन खरीदी के लिए उन्हें एक करोड़ रुपए डिपोजिट करना होगा। शर्त वे पूरा नहीं कर पाए। उनका कहना था कि इससे छोटे व्यापारी कैसे जुड़ पाएंगे जिनका इतना टर्नओव्हर ही नहीं है।
ब्यावरा मंडी में सेटअप बढ़ाने बना रहे बिल्डिंग
कृषि मंडी में बनाए गए कृषि बाजार के ऑफिस में जगह की कमी से वर्तमान में नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। यहां ऑनलाइन कृषि बाजार स्थापित किया जा रहा है। मंडी के स्टॉफ को जगह की दिक्कत के कारण ई-नाम की मौजूदा बिल्डिंग के ऊपरी हिस्से में भी नया भवन बनाया जा रहा है। यहां आने वाले समय में ऑनलाइन खरीदी शुरू करने की योजना है।
ई-नाम का ऑफिस संचालित है, इसमें ऑनलाइन काम भी होते हैं, लेकिन फिलहाल खरीदी बंद है। इसके लिए शासन स्तर पर जरूर जोर दिया जा रहा है। हमारे यहां ही नहीं प्रदेश की अन्य मंडियों के भी यही हाल हैं।
– एलएन दांगी, सचिव, कृषि उपज मंडी, ब्यावरा