दरअसल, पीपल चौराहे के आस-पास लाखों रुपए खर्च कर जो लोहे की जालियां बिना किसी प्लॉनिंग के तत्कालीन एसडीएम ने लगवाई थीं, अब वे बिना किसी कारण के हटवा दी गईं। लगवाने के दौरान ही उनका विरोध सामने आया था लेकिन मनमानी प्रशासनिक व्यवस्था और अफसरों की जिद के आगे किसी की नहीं चली। न ही यहां के जनप्रतिनिधियों ने जनता की पीड़ा को समझा।
इसी कारण जानबूझकर मनमाने तरीके से लगाई गई जालियां अभी कुछ दिन पहले ही निकलवा दी गई। खास बात यह है कि जितना खर्च मुख्य चौराहों पर छोटे-मोटे बदलाव पर कर दिया जाता है उससे आधा भी ध्यान शहर की जनता की बुनियादी सुविधाओं पर नहीं दिया जाता। इसी कारण जनता आज भी सड़क, पानी के लिए परेशान हैं।
वहीं, वे तमाम लोग भी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं जो महज डिवाइडर वाले रोड के लिए लाखों रुपए का नुकसान उठा चुके हैं। रोड की जद में आने वाले हिस्से के अंदर भी करीब 10-10 फीट उनका निर्माण तोड़ा गया और नजीते में रोड अभी तक पूरा नहीं हो पाया। इससे जनता में प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर खासा आक्रोश भी है।
जो जालियां लगाई वे उखड़ीं, पैबर्स-ब्लॉक भी नहीं लगे
चुनावी सब्जबाग दिखाकर डिवाइडर वाले रोड से ट्रैफिक सुधरने का दावा करने वाले जिम्मेदार न रोड पूरा कर पाए न ही बने हुए रोड पर जालियां लगवा पाए। हालात यह है कि फुटपॉथ और बचे हुए रोड पर पैवर्स ब्लॉक भी नहीं लग पाए। बिना किसी प्लॉनिंग के किए जा रहे काम से न सिर्फ जनता परेशान है बल्कि व्यवस्था को लेकर भरोसा भी खत्म हो चुका है। वर्तमान में चल रही अतिक्रमण विरोधी मुहिम को लेकर भी ऐसी ही बातें सामने आ रही है। दो दिन की सख्ती के बाद सब सामान्य हो गया है। इसी कारण तरह-तरह के सवाल कार्रवाई पर भी उठ रहे हैं।
जनता की परेशानी को समझना होगा
जनता की परेशानी को समझना होगा, प्रशासन से जनता को काफी उम्मीदें होती है। ऐसे में जो गलतियां पहले हो चुकी हैं उन्हें सुधारें और जनता की परेशानी दूर करें।
-रामचंद्र दांगी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता, ब्यावरा
बचे हुए काम निपटाएंगे
बचे हुए काम हम जल्द निपटाएंगे। पहले वालों ने क्या किया इसका हम नहीं कह सकते लेकिन हमारा प्रयास है कि ब्यावरा को अतिक्रमण मुक्त बनाएं।
-रमेश पांडे, एसडीएम, ब्यावरा