देखते देखते यह बात लोंगो के बाद अधिकारि तक पहुंच गई। पहले तहसीलदार मौके पर पहुचे लेकिन बात नही बनी। बाद में sdm प्रवीण प्रजापति को आना पड़ा। उन्हें भी करवाई से पूर्व टाबर से उतरने को मना कर दिया। ऐसे में जमीन पर चल रहे निर्माण को रोक दिया गया। और खुद अतिक्रमणकारियों ने आकर माफी मांगी। बाद में बाबा की माँ भी प्रदर्शन कर रहे बाबा को समझाने पहुंची। बमुश्किल रात 3 बजे 100 फिट ऊंचाई पर चढ़े बाबा को सुबह 11 नीचे उतारा गया। इस दौरान बाबा को किसी भी तरह की चोट नहीं आई वे सुरक्षित नीचे आ गए।
इस दौरान लोगों को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा। उनका कहना था कि बाबा इतनी उचाई पर थे कि जिसकी उनकी जान का खतरा बना हुआ था। लोगों ने कहा कि हमने कई तरह के अनशन देखे। पर, यह अलग तरह का अनशन पहली बार देखने को मिला। बाबा इतनी उचाई पर जाकर अनशन कर रहे थे। बाबा के अनशन को देखकर जिले के कई बड़े लोग इस जगह पर आ पहुंचे। इसके पहले तक तो इस बात की किसी को खबर तक नहीं थी। कोई इस जगह पर ध्यान देने तक को तैयार नहीं था। अनशन के बाद सभी मांगों को एक बार में मान लिया गया। चल रहे सभी अतिक्रमण को एक बार में हटा दिया गया।