निजी वाहनों के चालक और मरीजों के साथ कई बार नशे में धुत होकर आने वाले लोगों से अस्पताल की महिला स्टॉफ व अन्य पहले से ही परेशान हैं। तमाम सख्ती और दिशा निर्देशों के बावजूद अस्पताल की सुरक्षा की ओर किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं है। बता दें कि हाल ही में बनी सिविल अस्पताल की नई बिल्डिंग में आने-जाने के रास्ते पर कोई प्रतिबंध नहीं है, देर रात, शाम को और दोपहर में कौन कहां आ रहा है जा रहा किसी को कोई लेना-देना नहीं है। अस्पताल असामाजिक तत्वों का डेरा बन चुका है जिसे लेकर कोई गंभीर नहीं है।
सिक्योरिटी ऐसी कि वाहन तक नहीं लगवा पाते
नाम मात्र की सिक्योरिटी व्यवस्था से पूरा अस्पताल परेशान हैं। गुरुवार को बारिश के दौरान एक प्रसूता को लेने आईं जननी एक्सप्रेस गेट तक सिर्फ इसलिए नहीं आ पाई कि वहां ऑटो और अन्य निजी वाहन खड़े थे। साथ ही मौके पर न गार्ड था न ही कोई सफाईकर्मी। प्रसूता के परिजन परेशान होते रहे और उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई। एक सिक्योरिटी गार्ड मैन गेट पर रहता है जो न ट्रैफिक सुधार पाता न ही सुरक्षा कर पाता। सिक्योरिटी होने के बावजूद महीने में चार-पांच बाइक परिसर से चोरी हो जाती है।
नई व्यवस्था करेंगे
अस्पताल में इस तरह से सामग्री मिलना गलत है, असामाजिक तत्वों की एंट्री पर प्रतिबंध और निजी वाहनों को हटाने के लिए मैंने मेडिकल ऑफिसर को लिखा है मैं बात करता हूं।
-डॉ. आर. सी. बंसीवाल, सीएमएचओ, राजगढ़