राजगढ़

जिले में तीस प्रतिशत प्राध्यापकों के भरोसे 14 हजार विद्यार्थियों की पढ़ाई

जिले में तीस प्रतिशत प्राध्यापकों के भरोसे 14 हजार विद्यार्थियों की पढ़ाई

राजगढ़Jul 28, 2018 / 04:54 pm

दीपेश तिवारी

जिले में तीस प्रतिशत प्राध्यापकों के भरोसे 14 हजार विद्यार्थियों की पढ़ाई

राजगढ़@प्रकाश विजयवर्गीय की रिपोर्ट…
जिले में स्कूली शिक्षा के तो हाल बेहाल है ही सहीं लेकिन जिले भर के शासकीय कॉलेजो में प्राध्यापकों की कमी के कारण यहां उच्च शिक्षा की स्थिति भी बेपटरी है। शासन द्वारा साल दर साल जिले में नए नए कॉलेज तो खोले जा रहे है। लेकिन उनमें हर साल प्रवेश लेने वाले करीब 14-15 हजार बच्चों की पढ़ाई के लिए प्राध्यापकों की व्यवस्था पर उच्च शिक्षा विभाग या शासन का कोई ध्यान नहीं है।

हालत यह है कि जिले में स्थापित नौ शासकीय कॉलेजो में स्वीकृत प्राध्यपकों और सहायक प्राध्यापकों के कुल पदो में से करीब 70 प्रतिशत सालों से रिक्त पड़े है। भरे हुए तीस प्रतिशत पदों में भी अधिकांश संख्या सहायक प्राध्यापकों की है, प्राध्यापकों के 50 प्रतिशत से अधिक पद खााली है। इन पदो को भरने के लिए पिछले कुछ सालों में भोपाल और अन्य महानगरों में आवश्यकता से अधिक संख्या में पदस्थ कुछ प्राध्यापकों को स्थांतरण राजगढ़ जिले में किया भी गया है। लेकिन इनमें से अधिकांशने बाद में अपने रसूख का उपयोग करते हुए स्थानांतरण स्थािगत करवा लिया। ऐसे में जिले के विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए यहां के कॉलेजों में प्रवेश तो लेते है लेकिन प्राध्यापकों के नहीं होने के कारण उन्हें नियमित प्रवेश का लाभ नहीं मिल पाता।

151 में से 105 पद रिक्त
शहर के लीड कॉलेज सहित जिले के 0 9 शासकीय कॉलेजो में प्राध्यापक 15 और सहायक प्राध्यापक के 136 पदों सहित कुल 151 पद शेक्षकक व्यवस्था के लिए है। लेकिन उच्च शिक्षा विभाग की उदासीनता कारण कारण 105 पद फिलहाल खाली है। इसके प्राध्याप के 08 और सहायक प्राध्याप के 97 पद लंबे समय से खाली है। पचोर, सारंगपुर, जिरापुर, खिलचपुर, सुथलिया, छापीड़ा छह कॉलेजों तो एक भी प्राध्यापक नहीं है। नियमित प्राध्यापक की इस कमी की पूर्ति करने के लिए कॉलेजों में अतिथि प्राध्याप की नियुक्ति की जाती है। लेकिन इनकी नियुक्ति के लिए उच्च शिक्षा भारत द्वारा हर साल नई प्रक्रिया करने के कारण आधा साल तो बिना प्राध्याप के ही बीट्स है।

छापीहेड़ा सुठालिया कॉलेज में पढ़ाई पूरी तरह ठप्प
जनप्रतिनिधियो की मांग और जिला योजना समिति के अनुमोदन के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जिले के हर नगरीय क्षेत्र में कॉलेज खोलने की योजना है। इसी को लेकर बीते साल ब्यावार के सुठालिया ओर इस साल खिलचीपुर के छापीेहेड़ा में नए कॉलेज खोले गए है। दोनो कॉलेज की स्वीकृति के बाद उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यहां 07-07 सहायक प्राध्यापकों के पद भी स्वीकृत कर विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। लेकिन स्वीकृत पदों पर सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति अब तक नहीं हुई। इधर नए कॉलेजो में अतिथि विद्वानो की नियुक्ति के आदेश भी अब तक विभाग ने जारी नहीं किए है। ऐसे में दोनो ही कॉलोजों में अब तक पढ़ाई शुरू तक नहीं हो पाई है।

शासकीय कॉलेजों में यह भी कमी
– जीरापुर छोडक़र अन्य किसी भी कॉलेज में नहीं है नियमित प्राचार्य
– अधिकांश कॉलेजों में तकनीकि विषयों के प्राध्यापकों का आभाव
– प्राचार्य के आभाव में प्राध्यापकों को प्राचार्य का प्रभार
– सुठालिया और छापीहेड़ा कॉलेज में एक भी नियुक्ति नहीं
– नए कॉलेजों के पास खुद का भवन भी नहीं
– हर साल बढ़ रही विद्यार्थियों की संख्या कम हो रहे प्राध्यापक

जिले में स्वीकृत पदों के मुकाबले प्राध्यापक ओर सहायक प्राध्यपक के काफी पद रिक्त है। हमारे द्वारा इसकी जानकारी समय समय पर उच्च शिक्षा विभाग सहित शासन को दी गई है। पदों की पूर्ति वहीं से होनी है। हालांकि इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए हर साल अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति होती है।
आर के शर्मा प्राचार्य लीड कॉलेज राजगढ़
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