वन अमले के पास न पर्याप्त औजार उनसे निपटने के लिए हैं न ही आम जनता को सुरक्षा देने की तरकीब। रविवार को सूचना के करीब दो घंटे बाद पहुंची वन विभाग की टीम जाल बिछाकर खड़ी रही, लेकिन किसी ने पास जाने की रिस्क नहीं ली न ही किसी तरह की तकनीक ढूंढ पाए जिससे कि तेंदुआ शिकंजे में आ पाए।
दो घंटे का सफर पांच घंटे में कर भोपाल से आई रेस्क्यू टीम भी पांच से साढ़े नौ बजे तक प्रयास ही करती रही लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर भोपाल से आई टीम ने 10 बजे तेंदुआ जैसे-तैसे पकड़ा।। लगभग पहली बार वन विभाग से आम जनता को पड़े काम से यह स्पष्ट हो गया कि कितने महफूज हैं हम? जंगली जानवरों से निपटने के लिए अब जनता को ही अपनी सुरक्षा करना होगी, कभी अमले की कमी तो कभी संसाधनों का अभाव बताकर जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेने वाले विभागीय अफसर ऐसे क्राइसेस से निपटने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए हैं।
ब्यावरा के आसपास नहीं जंगली क्षेत्र
दो प्रमुख हाइवे के संगम स्थल ब्यावरा में आस-पास कहीं भी न जंगली क्षेत्र नहीं है जहां से जानवरों के आने की संभावना हो, ऐसे में अचानक से आए तेंदुए से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि आखिर वह आया कहां से? विभाग का मानना है कि वह मलावर से लगे रामगढ़ क्षेत्र से आया, लेकिन उक्त क्षेत्र में ऐसे जानवर का होना संभव नहीं है। सूत्रों की मानें तो बीते दिनों हुई बारिश में रायसेन या सीहोर से पार्वती नदी में उक्त तेंदुआ आया था। नदी उतरने के बाद वह भटक गया और वहीं से गांवों की ओर रुख करता हुआ शहर आया होगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
दो प्रमुख हाइवे के संगम स्थल ब्यावरा में आस-पास कहीं भी न जंगली क्षेत्र नहीं है जहां से जानवरों के आने की संभावना हो, ऐसे में अचानक से आए तेंदुए से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि आखिर वह आया कहां से? विभाग का मानना है कि वह मलावर से लगे रामगढ़ क्षेत्र से आया, लेकिन उक्त क्षेत्र में ऐसे जानवर का होना संभव नहीं है। सूत्रों की मानें तो बीते दिनों हुई बारिश में रायसेन या सीहोर से पार्वती नदी में उक्त तेंदुआ आया था। नदी उतरने के बाद वह भटक गया और वहीं से गांवों की ओर रुख करता हुआ शहर आया होगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
संभवत: वह रामगढ़ (मलावर) के जंगल से आया होगा, वहां हमारा वन पाइंट भी है। तेंदुए को पकड़े में हमने पुरजोर कोशिश अपने स्तर पर की। इस तरह की इमरजेंसी में सभी जगह स्पेशल फोर्स और औजार उपलब्ध नहीं करवाए जाते न ही इंजेक्शन मिलते। ऐसे में हमें भोपाल से ही बुलाना पड़ता है।
-आरएन वर्मा, डीएफओ, राजगढ़