यानी यूं कहें कि भरपूर शादियां और असंख्या सामूहिक विवाह समारोह और पर्यटन स्थलों पर जाने वालों की संख्या भी काफी है। अधिकतर यात्री सबसे सुरक्षित माने जाने वाले रेलवे के सफर का ही चुनाव करते हैं। इसलिए इसमें वेटिंग की स्थिति है। माना जा रहा है कि आगामी दिनों में और भी भीड़ बढ़ने के आसार है। हालांकि ब्यावरा से कुछ स्पेशल ट्रेनें गर्मी के लिए ही चलाई है, लेकिन महीने के तीन या चार राउंड होने से यहां की जनता की आपूर्ति नहीं हो पाती। फिलहाल सभी यात्रियों को रेलवे की अधिकृत वेबसाइट या स्थानीय रेलवे स्टेशन पर जानकारी जुटाकर ही यात्रा करनी चाहिए।
हर गाड़ी में वेटिंग लिस्ट लंबी
अमूमन स्लीपर क्लास, थर्ड एसी और सेकंड एसी में कुछ संभावनाएं वेटिंग क्लीयर होने की रहती है, लेकिन शादियां ज्यादा होने और स्कूल कॉलेजों की छुट्टियों के कारण इसके चांस भी कम हो गए हैं। आम तौर पर लोग यात्राएं कैंसल करा लेते हैं, लेकिन यहां जो रिजर्वेशन हो जाते हैं उनके रद्द होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। इसी कारण अब ट्रेनों में बिना कंफर्म टिकट के बैठना भी समझदारी नहीं है।
डेढ़ लाख रुपए प्रतिदिन था काउंटर, अब ऑनलाइन और रिजर्वेशन में ज्यादा इनकम
किसी दौर में ब्यावरा रेलवे स्टेशन का प्रतिदिन का काउंटर डेढ़ लाख रुपए तक का था लेकिन कोरोना काल से ही बंद सिंगल विंडो टिकट सिस्टम के कारण रोजाना की इनकम प्रभावित हुई है। भले ही ट्रेनें फुल चल रही हो, लेकिन रिजर्वेशन काउंटर और ऑनलाइन आइआरसीटीसी के माध्यम से होने वाली इनकम ही ज्यादा है। स्थानीय तौर पर काउंटर इनकम में बढ़ोतरी अभी भी नहीं हो पाई है। हालांकि माना जा रहा है कि जुलाई माह से काउंटर शुरू हो जाएंगे, लेकिन काफी इनकम अप्रेल माह में हुई मईजून में भी ऐसी ही भीड़ रहने के आसार हैं।
डेली का ट्रैफिक बढ़ा है
रोजाना आने वाली गाड़ियों के साथ ही साप्ताहिक ट्रेनों में पैसेंजरों की संख्या बढ़ी है। ट्रैफिक लोड काफी लंबे समय बाद ऐसा देखा गया है। ऑनलाइन टिकट में भी लंबी वेटिंग है। अभी शादियों के सीजन होने और छुट्टियों के कारण ऐसा हो रहा है। एमके भटनागर, स्टेशन प्रबंधक, ब्यावरा