बड़े घोटाले के संकेत
पिछले साल जीरापुर मंडी में समर्थन मूल्य पर खरीदी गई प्याज में जगह-जगह घोटाले देखने को मिले थे। जिसमें समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही प्याज की अधिक मात्रा आ जाने के बाद हजारों क्विंटल प्याज का सड़ना बताते हुए उसका भुगतान दिखाया गया था। अब जब इस मामले की गंभीरता से जांच हुई तो इसमें कई तरह के तथ्य सामने आए, जो एक बड़े घोटाले की तरफ इशारा करते हैं। जांच में पता चला है कि किसानों का सिर्फ पंजीयन करते हुए विभिन्न वाहनों के नंबर डालकर बगैर खरीदे ही प्याज भुगतान कर दिया गया। जिस जगह ट्रैक्टर और लोडेड वाहन के नंबर दर्ज होने थे। उनके स्थान पर किसानों के साथ पंजी किए गए वाहनों के नंबर को देखें तो उनमें मंडी के ही कुछ कर्मचारियों ने एंबुलेंस और गिट्टी मिक्सर सहित स्कूटर, टैंकर और बस व टैंकर तक के नंबर डाल दिए। इतना ही नहीं कुछ नंबर मोबाइल वेन तक शामिल हैं।
कलेक्टर ने दिए FIR के निर्देश
बड़ी गड़बड़ी सामने आने के बाद कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने तुरंत ही इस पूरे मामले से जुड़े हुए दोषियों पर दो दिन के अंदर एफआईआर दर्ज कराने के लिए जीरापुर मंडी के सचिव को निर्देश दिए हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है, पहले भी तत्कालीन कलेक्टर इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए निर्देशित कर चुके हैं। लेकिन कर्मचारियों ने सांठगांठ कर मामले को दबा दिया।
19 हजार क्विंटल प्याज का अंतर
जांच के दौरान मंडी में किसानों द्वारा खरीदी गई प्याज और पंजीकृत किसानों की संख्या में अंतर मिला हैं। एक जगह खरीदी गई प्याज में किसानों की संख्या 3278 है। जिन से दो लाख 25 हजार क्विंटल प्याज खरीदी का जिक्र है, जबकि इसी को जब ऑनलाइन पर्चियों में बदला गया तो किसानों की संख्या में अंतर आ गया और किसानों की संख्या बढ़कर 3473 पर पहुंच गई और किसानों से खरीदी गई प्याज दो लाख 6000 क्विंटल हो गई। इस तरह लगभग 19 हजार क्विंटल प्याज का अंतर सामने आया है।