दरअसल, जिले की नोडल मंडी ब्यावरा को बनाया गया है। इसमें जिलेभर के तमाम (80 हजार से अधिक) रजिस्टर्ड किसानों का ब्यौरा है और उनके भुगतान के लिए सत्यापन प्रक्रिया जारी है। इसी के तहत उन तमाम किसानों का सत्यापन किया जा रहा है जिन्होंने अपना पंजीयन 15 से 25 नवंबर के बीच करवाया है। साथ ही प्रबंधन ने यह भी स्पष्ट किया है कि १६ अक्टूबर से पहले की तारीखों में किए गए पंजीयन भावांतर भुगतान योजना में मान्य नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि उक्त योजना में पंजीकृत किसान आगामी 31 दिसंबर के बीच ही अपनी उपज बेच पाएंगे। अन्यथा इसके बाद बेची गई उपज का लाभ उन्हें नियमानुसार नहीं मिलेगा।
काम बढ़ा, कागजी खानापूर्ति भी ज्यादा
भावांतर भुगतान योजना में नाम मात्र की अंतर राशि का लाभ देने वाले प्रशासन का न सिर्फ काम बढ़ा है किसानों को भी कागजी फर्मालिटिज का भार बढ़ा दिया है। पहले चरण में रजिस्ट्रेशन, फिर वैरिफिकेशन और फिर अन्य कार्यों में जुटी टीम के पास पर्याप्त समय ही नहीं है। ऐसे में अब वैरिफिकेशन प्रक्रिया काफी जटिल हो गई है। बता दें कि किसान को अपनी पहचान इसलिए भी बताना जरूरी हो रही है क्योंकि बिचौलिए और एजेंट टाइप के लोग किसान बनकर योजना का दुरुपयोग करने में भी जुटे हैं।
-आरके रावत, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, ब्यावरा