ऐसे में एक बार फिर विभाग की टीम गांव पहुंची और वापस समझाइस दी। यहां जिम्मेदार कोई ठोस कार्रवाई की वजह आयोजकों को समझाइस देते रहे। वहां सम्मेलन ही आयोजित हो गया। फिलहाल सम्मेलन में कितने बाल विवाह हुए। यह कह पाना जल्दबाजी होगी, लेकिन बगैर उम्र के प्रूफ लिए या जांचे किया गया यह सम्मेलन अपनी कहानी खुद ही बयां कर रहा है।
गुरुवार को आयोजित होने वाले सम्मेलन में ३० से अधिक जोड़े थे। चाइल्ड लाइन द्वारा एकत्रित की गई जानकारी के अनुसार करीब ७० प्रतिशत जोड़े नाबालिग थे। महिला बाल विकास और पुलिस को इस बात की सूचना दी गई। जिसके बाद पूरी टीम गांव पहुंची। जिसमें टीआई रत्नेश सिंंह, सीडीपीओ योगिता बैरागी, चौकी प्रभारी भूरी भिलाला और ब्लाक कॉडिनेटर अखिलेश शर्मा आदि मौजूद थे।
गांव पहुंचने के साथ ही आयोजकों से चर्चा करते हुए एक पंचनामा बनवाया। जिसमें ग्रामीणों के अलावा सम्मेलन के आयोजकों से यह लिखित में लिया गया कि सम्मेलन में बाल विवाह नहीं होंगे, लेकिन जब दूसरे दिन जाकर देखा तो विभाग या पुलिस के अनुसार उन्हें दो जोड़े नाबालिग नजर आए। जिसको लेकर समझाइस भी दी गई। लेकिन मना करने के बावजूद वह जोड़े सम्मेलन में कैसे पहुंचे। प्रशासन की रोक का इस सम्मेलन पर कोई असर नहीं आया।
आखिर कब तक दें समझाइश
जिले का नाम बाल विवाह को लेकर खासा जाना जाता है। हर साल छुटपुट कार्रवाई होती है, लेकिन बाल विवाह यहां बदस्तूर जारी है। इसी का नतीजा सुस्याहेड़ी सम्मेलन में भी देखने को मिला। जहां प्रशासन खुद इस बात को स्वीकार रहा है कि कुछ जोड़े नाबालिग नजर आ रहे थे, लेकिन तमाम कानून और जागरूकता अभियान के बावजूद माता-पिता हो या सम्मेलन आयोजक उनके खिलाफ कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाया गया।
जबकि सूचना यह भी थी कि सम्मेलन में एक या दो नहीं बल्कि अधिकांश जोड़े नाबालिग है। महिला बाल विकास हो या पुलिस इनके द्वारा भी अन्य जोड़ों के जन्म प्रमाण पत्र या फिर उम्र संबंधी अन्य मांगे गए। सिर्फ चेहरा देखकर यह बालिग और नाबालिग का प्रमाण पत्र खुद ही तय करते रहे।
नाबालिग जोड़ों की शादी होने की सूचना मिली थी। जिसको लेकर हम गए थे। दो जोड़े इस तरह के नजर आए थे। कल लिखित में भी दिया गया था। फिर भी दोबारा वहां यह जोड़े कैसे नजर आए। इस संबंध में सम्मेलन में टीम गई है। दोबारा जांच कर रही है।
रत्नेशसिंह यादव, टीआई छापीहेड़ा
श्यामबाबू खरे, महिला सशक्तिकरण अधिकारी राजगढ़