दरअसल, उक्त पॉवर सब-स्टेशन को फाइनल करने और ड्रॉइंग के लिए निर्माण एजेंसी राइट द्वारा पैटी कांट्रेक्ट पर दी गई। कंपनी केईसी इंटरनेशन लिमिटेड के अफसर ब्यावरा पहुंचे। जगह फाइनल होने के पहले ही उससे लगी जमीन वाले ग्रामीणों ने इसे लेकर विरोध जताया। उनका कहना है कि खेत और गांव जाने का आम रास्ता उक्त पॉवर स्टेशन बन जाने के बाद बंद हो जाएगा।
अत्यधिक केव्हीएच का पॉवर होने से आस-पास वैकल्पिक रास्ता निकाल पाना भी मुश्किल है। इसीलिए ब्यावरा से लगे चमारी, काचरी के सर्वे के जगह फाइनल करने पहुंचे निर्माण एजेंसी केईसी के अफसरों के समक्ष किसानों ने इसका विरोध जताया। इस पर वैकल्पिक तौर पर अफसरों ने सिंगल रोड देना सुनिश्चित किया, तब जाकर बात बन पाई। अभी भी मामला असमंजस में है लेकिन रेलवे ने उक्त पॉवर स्टेशन (डिपो) के लिए जगह हायर कर ली है।
विद्युतीकरण के साथ ही रामगंजमंडी-भोपाल लाइन का काम बैरागढ़ की ओर से शुरू होने के बाद अब ब्यावरा, नरसिंहगढ़ और आस-पास के गांवों की भूमि-अधिग्रहण की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। गुरुवार को रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर संजीव कुमार की टीम एसडीएम ब्यावरा के समक्ष पहुंचीं।
उक्त 188 किमी के ट्रेक पर विद्युतीकरण का मुख्य पॉवर सप्लाई हब यही रहेगा। यह 132 केव्हीएच लाइट इन करेगा और 25 केव्ही ट्रेनों को सप्लाई देगा। इसी पॉवर हॉउस से पूरे ट्रेक की बिजली मैंटेन रहेगी। बता दें कि इस तरह के पॉवर सब-स्टेशंस पर आम रास्ते नहीं बनाए जा सकते। आस-पास किसी की एंट्री नहीं होती है, इसीलिए ग्रामीणों ने इसे लेकर विरोध जताया था। फिलहाल उक्त डिपो के लिएअत्याधुनिक मशीनें आने लगी हैं।
फैक्ट-फाइल
-१२२.२३ करोड़ लागत (संभावित)।
-जून-२०१७ से हुआ वर्क ऑर्डर।
-१८८ किलो मीटर का होना है विद्युतीकरण।
-२५ केव्ही का पॉवर सप्लाय सिस्टम होगा।
-विजयपुर-पचोर की ओर से काम शुरू।
-दिल्ली की राइट कंपनी को मिला काम।
-पैटी कॉन्ट्रैक्ट पर केईसी को दिया।
(रेलवे के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार)
पॉवर हॉउस वहीं बनेगा,लेकिन संबंधित खेत वालों के लिए रास्ता छोड़ दिया जाएगा। वैसे ज्यादा गांव के लोगों को दिक्कत नहीं है कुछ ही खेत वालों ने आपत्ति जताई थी। इतना बड़ा विवाद नहीं था। पूरे ट्रेक पर ब्यावरा में ही पॉवर सब-स्टेशन बनाया जाना सुनिश्चित हुआ है।
-देबानंद पात्रा, केईसी इंटरनेशनल प्रालि, मक्सी-विजयपुर लाइन