सरकारी अस्पताल में लगाए जा रहे शिविर में कुछ निजी चिकित्सालयों के डॉक्टर भी आए थे। जहां वे मरीजों को उनके अस्पतालों में आने के लिए कह रहे थे। हद तो तब हो गई, जब शिविर के दौरान एक महिला को पैर में दर्द था। उसका भी एक्सरा राजगढ़ अस्पताल में नहीं हो सका और इसके लिए भोपाल से आए चिकित्सक ने उनके अस्पताल में आने को कह दिया। बकायदा अस्पताल का नाम भी लिखा। जब चिकित्सक से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि यहां एक्सरा नहीं हो रहा, इसलिए अस्पताल का नाम लिख दिया। ऐसे में इन शिविरों की हकीकत पता लगती है। जहां छोटी-छोटी बीमारियों के लिए भी इलाज के लिए भोपाल बुलाया जाता है, इसका भुगतान शासन करता है, लेकिन बीमारियों का इलाज जिला चिकित्सालय में भी हो सकता है।
यहां विधायक ने कहा कि अस्पताल का ढर्रा इसलिए बिगड़ रहा है। क्योंकि यहां रहते हुए भी परिसर में ही निजी अस्पतालों जैसा काम हो रहा है। जहां न सिर्फ इलाज के लिए पैसे लिए जा रहे हैं। बल्कि मरीज को जांच कराने या दवाओं के लिए निजी क्लीनिक या लेब के नाम बताए जाते हैं, जो सही नहीं है।
सिविल सर्जन आरएस परिहार ने जानकारी देते हुए बताया कि 1400 बीमारियों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत निशुल्क हो रहा है और अभी तक 1700 पंजीयन में से 345 लोग जिला चिकित्सालय से इस योजना का लाभ ले चुके हैं।