स्टेशन पर आधी रात को आने वाली इंटरसिटी और अन्य साप्ताहिक गाडिय़ों में बैठने पहुंचने वाले यात्रियों को डिस्प्ले नहीं होने के खासा परेशान होना पड़ता है। ब्यावरा सहित जिलेभर से आने वाले यात्रियों को इसके कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उखड़वा दिए थे लगे हुएअच्छे टाइल्स
उल्लेखनी है कि पिछले साल हुए जीएम और सीआरएम टीम के निरीक्षण को लेकर रेल्वे ने करीब दो से तीन करोड़ रुपएबाहरी चकाचौंध के लिएखर्च कर दिए थे। इसमें स्टेशन परिसर के ऐसे टाइल्स भी उखड़वा दिए गए थे जो काफी अच्छे थे।
सीआरएम और जीएम के निरीक्षण के दौरान स्टेशन के बाहर टू और फोर व्हीलर वाहनों के लिए पैड पार्किंग शुरू की गई थी, जिसमें पांच और 10 रुपए पार्किंग शुल्क था लेकिन वह महीनेभर भी नहीं चल पाई। जागरूकता के अभाव और लोगों की रुचि कम होने के कारण पार्किंग का उपयोग ही नहीं हो पाया। नजीता यह रहा कि निजी वेंडर को उक्तपार्किंग बंद करना पड़ी।
दूसरी सबसे जरूरत स्टेशन पर अतिरिक्त एकल खिड़की थी, जिसमें समय पर यात्रियों को टिकिट मिल पाए लेकिन स्टेशन मास्टर और एक मात्र रिजर्वेशन काउंटर के भरोसे पूरी व्यवस्थाएं हैं। इसमें कई बार पैनल को संभालने में यात्रियों को स्टेशन मास्टर टिकिट नहीं बांट पाते। कई बार यात्रियों को बिना टिकिट ही ट्रेन में चढऩा पड़ता है। इसके अलावा कई बार जल्दबाजी में काउंटर पर रुपयों की लेनदेन में कभी यात्री तो कभी काउंटर वाले को नुकसान हो जाता है।
डिस्प्ले सहित अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं का काम मंडल स्तर का है, उन्हीं को इसमें निर्णय लेना होता है। टिकिट विंडो की कई बार हम भी मांग रख चुके हैं, एक ही होने के कारणदिक्कत तो आती है, यात्री भी परेशान होते हैं, हम फिर मांग रखेंगे।
– पीएस मीना, स्टेशन मास्टर, ब्यावरा