बता दें कि हर शासकीय दफ्तर, संस्था इत्यादि वित्तीय वर्ष से पहले ही नये प्लॉन तैयार कर लेेते हैं और नये साल में उसे लागू भी कर देते हैं, लेकिन जिले की सबसे बड़ी नपा परिषद में न कोर्इ प्लॉनिंग है न ही अभी तक बजट के ठिकाने हैं। अब कब तक परिषद का सम्मेलन होता है और कब बजट पेश होगा अभी तक स्पष्ट नहीं है। पार्षदों ने अनौपचारिक चर्चा में बताया कि हमें किसी काम से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हमसे पूछे तो कोई? नपा परिषद के जवाबदारों के संवाद में कमी ही इसमें सबसे बड़ी बाधा बन रही है। पार्षदों का कहना है कि शहर विकास को हम हमेशा तैयार हैं और आगे भी रहेंगे। हमारी तरफ से कोई बाधा न थी और न ही रहेगी। हमेशा परिषद हो या पीआईसी सभी को लेकर बात तक नहीं की जाती। हम से यदि प्रॉपर संवाद किया जाए तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। जिम्मेदारों के आपसी तालमेल में अभाव और संवाद की कमी के कारण शहर के विकास की रफ्तार बिल्कुल थम सी गई है।
सीएमओ खुद कर देंगे बजट पेश
बजट में लेटलतीफी का प्रमुख कारण आपसी तालमेल ही सामने आरहा है। नगरीय प्रशासन के वरिष्ठ अफसरों के अनुसार मप्र नगर पालिका अधिनियम की धारा-१16 के प्रावधान अनुसार परिषद की आय-व्यय के आंकड़े पीआईसी के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं, फिर वह अनुमोदन करती है और वे परिषद में अनुमोदन के लिए जाते हैं, लेकिन यहां न पीआईसी में अनुमोदन हुआ न ही परिषद में। ऐसी स्थिति में सीएमओ प्रशासनिक तौर पर बजट प्रस्तुत करने के लिए अधिकृत रहते हैं।
हां, बजट प्रस्तुत करने में थोड़ी लेटलतीफी हुई है, लेकिन लगातार लेटलतीफी हुई तो नियमानुसार बतौर सीएमओ हमें ही बजट पेश करना होगा। जहां तक संवाद में कमी की बात है तो एक प्रशासनिक अधिकारी के नाते मेरी सभी से बात होती है, मैं आगे रहकर खुद प्रॉपर बात करता हूं।
-इकरार अहमद, सीएमओ, नपा