राजगढ़

चुनाव की आड़ में न कार्रवाई हो रही ना गति पकड़ रहे प्रशासन के प्रोजेक्ट

आचार संहिता की आड़ में जिम्मेदार अफसर-अधिकारी इससे बचते हुए नजर आ रहे हैं।

राजगढ़Jan 14, 2019 / 11:19 pm

Praveen tamrakar

Beaua. Road with dividers pending for a year is not able to get the speed.

ब्यावरा. विधानसभा चुनाव के लिए अक्टूबर में लागू हुई आचार संहिता के बाद से थमे तमाम जिला प्रशासन के प्रोजेक्ट्स को आज तक गति नहीं मिल पाई। दिसंबर में आचार संहिता हटने के बाद भी तमाम लंबित प्रकरण जस के तस हैं। आचार संहिता की आड़ में जिम्मेदार अफसर-अधिकारी इससे बचते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल, बात चाहे डिवाइडर वाले रोड की हो या हाल ही में प्रस्तावित अस्पताल रोड की ऐसे तमाम प्रोजेक्ट्स को प्रशासनिक व्यस्तता के चलते गति नहीं मिल पा रही है। अधिकारी, कर्मचारी दो माह सिर्फ यह तर्क देकर जनता को गुमराह कर रहे हैं कि प्रशासनिक बर्डन बेहद ज्यादा है। हर दिन व्यस्त शेड््यूल बताकर कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स से मुंह मोड़ा जा रहा है। इसके अलावा अन्य प्रकार की कार्रवाई को भी सिर्फ इसलिए गति नहीं मिल रही है कि अधिकारियों के पास काम की अधिकता का तर्क है।
ब्यावरा सहित जिलेभर में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की होड़ मची है। इसे लेकर पटवारी, तहसीलदार और अन्य अधिकारियों को पता होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही।
अवैध कब्जे : राजनीतिक आड़ में कर रहे अतिक्रमण
रोड पर बैठने वाले गरीब सब्जी और फल वालों पर जोर आजमाइश करने वाले स्थानीय प्रशासन दबंगों, राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों की आड़ में कब्जा जमाने वाले रसूखदारों पर कार्रवाई करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। हमेशा कार्रवाई या जिम्मेदारी को एक-दूसरे विभाग पर टाल देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों का इस पर ध्यान नहीं जाता। हालात यह है कि शहर में कहीं भी सरकारी जमीन के नाम पर कुछ नहीं बचा। खास बात यह है कि अधिकारियों को पूरी जानकारी होने के बावजूद वे इस पर ध्यान नहीं देते।

डिवाइडर वाला रोड : जिला प्रशासन के निर्णय का इंतजार
5.19 किलोमीटर के एबी रोड पर बनाए गए डिवाइडर वाले रोड पर संकरी जगह आकर पीपल चौराहे से आगे वाले हिस्से पर ही काम पूरा नहीं हो पा रहा है। पूरा रोड अधूरा पड़ा है। जो चुनिंदा मामले न्यायालय की शरण में हैं उनका जिला प्रशासन रुख नहीं कर पा रहा है। तत्कालीन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के समक्ष हाईकोर्ट के प्रकरण जाने के बाद सितंबर-२०१८ से मामले विचाराधीन हैं। अब न स्थानीय प्रशासन इसमें रुचि दिखा रहा न पीडब्ल्यूडी और न ही निर्माण एजेंसी।
अस्पताल रोड : सर्वे हुआ, नापतौल भी फिर भी शुरू नहीं
आचार संहिता हटने के बाद दो से तीन बार सर्वे होने के बावजूद अस्पताल रोड का काम रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। करीब तीन करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले उक्त मार्ग को लेकर भी अड़चनें सामने आईं और अब टेंडर फाइनल होने के बावजूद इसे गति नहीं मिल पा रही है। ठेकेदार ने बिजली कंपनी और नगर पालिका के साथ सर्वे भी कर लिया लेकिन प्रोजेक्ट शुरू होने में परेशानी आ रही है।

नशे पर पाबंदी: खुलेआम बिक रहे चरस, पाउडर
जिला प्रशासन के साथ ही पुलिस प्रशासन भी अपनी जवाबदेही तय नहीं कर पा रहा है। पुलिस छुटभैया सटोरियों को पकड़कर इतिश्री कर रही है और शहर में संवेदनशील क्षेत्रों में सरेआम पाउडर, चरस, स्मैक सहित अन्य नशीली सामग्रियां बेची और खरीदी जाती हैं। कई युवा इस नशे की चपेट में हैं। सरेआम अवैध तौर पर होने वाले इस काम पर पुलिस का जोर नहीं चल पाता।
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