scriptनोबल पुरस्कार विजेता के पड़ोसी जिले में बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित | Nobel prize winners children in neighboring district most unsafe | Patrika News

नोबल पुरस्कार विजेता के पड़ोसी जिले में बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित

locationराजगढ़Published: Feb 07, 2018 07:57:04 pm

जिले में 15 दिन के अंदर बाल अपराधों से जुड़े दो मामले आए सामने, न पुलिस गंभीर न श्रम विभाग।

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राजगढ़। बाल श्रम को रोकने के लिए भले ही जिले की सीमा से लगे विदिशा के रहने वाले समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी नोबल पुरस्कार ले आए हों। लेकिन जिले ने उनसे कुछ सीख ली हो। ऐसा नजर नहीं आता। यहां बाल श्रम के कई मामले आए दिन सामने आ जाते है। लेकिन उन मामलों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता। जिसकी बानगी हाल ही में सामने आए आए दो प्रकरणों से नजर आती है। जहां एक बच्चा जिसे चोरी करना सिखाया जा रहा था। वह खुद भागकर आया और उसने बाल श्रम पर काम करने वाली संस्थाओं के साथ ही पुलिस को भी अपने बयान दिए। लेकिन आज तक प्रकरण दर्ज नहीं हुआ। वहीं दूसरा मामला ब्यावरा के देहात थाने का है। जहां बंधुआ मजदूर बनाकर एक बच्चे से काम लिया जा रहा था। यहां पुलिस आरोपी मालिक पर तो कार्रवाई करने में कतरा रहे है। लेकिन बच्चे की मां पर प्रकरण दर्ज कर मामले को रफादफा करने का प्रयास जरूर कर रहे है।

पहला मामला: चोरी के लिए बेच दिया था बच्चा
यह बच्चा पचोर थाने के गुलखेड़ी से जुड़ा हुआ है। जिसे गुलहेड़ी की ही एक महिला चोरी करना सिखा रही थी। मामले में बच्चा मौका देखकर उनके चंगुल से निकल आया और ट्रेन में मौजूद एक व्यक्ति को पूरी घटना सुनाई। जिसके बाद जीआरपी पुलिस और फिर बाद में उस बच्चे को समाजसेवी संस्था के संरक्षण में रखा गया है। लेकिन बच्चे द्वारा दिए जा रहे बयान रोंगटे खड़े करने वाले है। लेकिन कोई कार्रवाई हो। ऐसा नजर नहीं आ रहा और अभी तक इस संबंध में किसी पर कोई प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है।

दूसरा मामला: 11 हजार के लिए गिरवी रख दिया
चंदरपुरा के दरियावसिंह के पास ११ साल का बच्चा छह हजार रुपए में सालभर के लिए काम पर लगाया गया था। बाल अपराधों को रोकने के लिए काम कर रही चाइल्ड लाइन के माध्यम से बच्चे को बंधक होने से छुड़ाया गया। मामले की जानकारी प्रशासन को दी। इस मामले में भी ज्यादा कुछ कार्रवाई सामने नजर नहीं आ रही। और तो और श्रमाधिकारी राजेश जैन के बयानों को माने तो उन्होंने तो हद ही कर दी। जब कार्रवाई के संबंध में पत्रिका ने चर्चा की तो उनका कहना था कि हमने मजदूरी कम देने का नोटिस दे दिया है। अभी पुलिस कार्रवाई नहीं हुई है।

इन नियमों के तहत हो सकती है कार्रवाई-

– बंधुआ मजदूरी प्रथा निवारण अधिनियम 1976 के तहत सात साल की सजा।
– किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत 5 वर्ष की सजा और एक लाख रुपए जुर्माना।
– किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी बच्चे का क्रय या विक्रय करने पर सात साल तक की सजा और एक लाख का जुर्माना।

– गुलखेड़ी से आए बच्चे के बयान लिए गए हैं। अभी अन्य बिंदुओं पर जांच की जा रही है।
मुकेश गौड़, टीआई राजगढ़

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