विनोद सुबह 4 बजे गुजरी मुज्जफरपुर -सूरत एक्सप्रेस (19054) के सामने कूदने के लिए आया। पहले इंजन देखकर डर गया, बाद में आखिरी के दो-तीन कोच में छलांग लगा दी। चलती ट्रेन में कूदने से वह वहीं फंस गया। आधा शरीर फंसकर घसीटता हुआ उलझा रहा। कुंभराज से बीनागंज के बीच करीब डेढ़ से दो किमी दूर तक उसके शरीर के टुकड़े मिले।
एक पैर ट्रेन के कोच के पैनल में उलझा हुआ था, जो जमीन से रगड़ाता चल रहा था। ट्रैक के 1146/14 किमी वाले एरिया में आखिरी के डिब्बे में गार्ड को गिट्टी उछलने का आभास हुआ तो उसने मेमो (सूचना पत्र) दिया और ब्यावरा स्टेशन पर पहुंचकर स्टेशन मास्टर और जीआरपी टीम को सूचना दी। इसके बाद उसका पैर ट्रेन रोककर निकाला गया।
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ट्रैक पर शरीर के हिस्से ढूंढ़ती रही जीआरपी टीम
जीआरपी टीम बीनागंज पहुंची, जहां शरीर के शेष हिस्से को पुलिस ने ढुंढ़वाया। 30 किमी तक उसकी टांग उलझी रही, शरीर के चिथड़े हो गए।