वहीं हाइवे का दूधी पुल डूबने के साथ ही रेलवे की पटरी डूबने की संभावना बढ़ रही थी। ऐसे में टेस्टिंग के नाम पर सात मीटर कम पानी होने के बावजूद इसे खोल दिया गया।
अधिकारी भले ही इसे टेस्टिंग कहे, लेकिन हकीकत यही है कि यदि सीहोर से लेकर राजगढ़ तक हुई बारिश का पानी नदी में आता तो निश्चित रूप से यह पानी कुछ समय बाद गांवों में भरने लगता। अभी भी आधा दर्जन गांव ऐसे है। जिन्हें खाली होना शेष है।
कुछ ग्रामीण मुआवजे के लिए परेशान है। ऐसे में वे गांव भी खाली नहीं कर रहे। जिसको लेकर प्रशासनिक टीम कई बार इन गांवों का भ्रमण करते हुए ग्रामीणों को समझा चुकी है, लेकिन गांव खाली नहीं हो सके।
वहीं डेम के डूब क्षेत्र में दूधी का पुराना पुल भी आ रहा है। जिसको लेकर समय से पहले ही मोहनपुरा सिंचाई परियोजना द्वारा न सिर्फ रेलवे बल्कि हाइवे प्रबंधन को भी भुगतान कर चुका है, लेकिन उन विभागों की लेटलतीफी के कारण डेम को पूरा नहीं भरा जा सका।
एक सेंकड में एक लाख लीटर पानी छोड़ा
डेम के पानी को छोडऩे के लिए चार गेट खोले गए। इनमें दो गेट 3.10 बजे खोले गए। बाद में दो और गेट शाम पांच बजे खोले गए। 20 सेमी इन गेटों को खोला गया। जो प्रति सेकंड एक लाख लीटर पानी छोड़ रहे थे। एसडीएम विजेन्द्र रावत और जल संसाधन विभाग के ईई केके खरे मौजूद थे।
जगह-जगह तैनातथे सुरक्षाकर्मी
डेम का पानी छोडऩे के साथ ही रास्ते में पडऩे वाले सभी पुल पुलियाओं पर सुरक्षाकर्मी लगा दिए गए थे। वहीं हर पंचायत में यह सूचना कर दी गई थी कि डेम से पानी छोड़ा जा रहा है। ऐसे में अपने पशु हो या फिर नदी के आसपास कोई घूम रहा हो तो उसे वहां से हटा दे। ताकि कोई दुर्घटना घटित न हो।
कुंडालिया से भी 600 क्यूसेक पानी
मोहनपुरा के साथ ही जिले की दूसरी सिंचाई परियोजना कुंडालिया के भी तीन गेट खोले गए। इसकी सूचना पहले पूरे क्षेत्र में पहुंचाई गई। जिसके बाद अधिकारियों की मौजूदगी में डेम से पानी छोड़ा गया।
उल्लेखनीय हैै कि कुंडालिया सिंचाई परियोजना का निर्माण अभी जारी है। इसके बाद भी पिछले दो दिनों में हुई तेज बारिश के बाद डेम में भर रहे पानी का जलस्तर बढ़ गया। ऐसे में यहां से भी 600 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
टांडी गांव खाली कराया
डूब क्षेत्र में आने वाले टांडी गांव में कुछ लोगों को अभी भी मुआवजा नहीं मिला है। ऐसे में वे गांव में ही रह रहे थे, लेकिन नदी का पानी बढ़ते देख अब उनसे गांव खाली कराया गया। इसके लिए पुलिस के साथ ही राजस्व की टीम गांव पहुंची और ग्रामीणों को समझाइस देते हुए गांव खाली कराया।
सेल्फी लेने की होड़
डेम के गेट खोलने की सूचना पहले ही जारी कर दी गई थी। ऐसे में डैम पर हजारों लोग जुट गए थे और जैसे ही गेट से पानी छोड़ा गया। सेल्फी लेने की होड़ लग गई।
पहले डेम के ऊपर फिर बाजू में बनाई गई गैलरी और बाद में गेट के सामने जाकर सेल्फी लेते नजर आए। हालांकि पुलिस और होमगार्ड की टीम वहां लगी हुई थी और लोगों को समझाइश भी दे रही थी, लेकिन लोग मान ही नहीं रहे थे।
बारिश में गिरा मकान
करेड़ी. बारिश मंगलवार शाम से अचानक हुई तेज बारिश में करेड़ी निवासी नवरतन साहू के मकान का एक हिस्सा भरभरा कर ढह गया। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों बनाई गई खुजनेर-राजगढ़ रोड के निर्माण के बाद यहां सड़क से पानी निकासी के लिए पर्याप्त नाली का निर्माण नहीं किया गया है।
ऐसे में सड़क से बहने वाला पानी पिछले तीन दिन से साहू के मकान पास जमा हो रहा था। जिसके चलते मकान की एक और दीवार काफी कमजोर हो गई थी। जो मंगलवार-बुधवार की मध्य रात ढह गई।
झलकियां
– डेम के गेट पहली बार खुलते देखने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे लोग।
– एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों ने विधिविधान से पूजन कर खोले गेट।
– प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ही के दिन दो माह पहले किया था डेम का लोकार्पण।
– पहली बार खोले गए डेम के गेट की यादे सहेजने अधिकारियों ने भी ली सेल्फी।
पानी का बहाव बढ़ रहा है और डेम नया है। ऐसे में गेट पर प्रेशर कितना है। इसको लेकर गेट खोलने की टेस्टिंग की जा रही है। जिसके तहत चार गेट खोलकर करीब 600 क्यूसिक पानी छोड़ा जाएगा।
– केके खरे, ईई मोहनपुरा सिंचाई परियोजना