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राजगढ़

एक साल में खराब हो गई 7 करोड़ से बनी बिल्डिंग, कागजों में बनकर तैयार

स्वास्थ्य विभाग को चूना लगाते ठेकेदार
-इन्फेक्शन के डर से चालू नहीं हो पा रही पुराने ओटी, न ठेकेदार ने ध्यान दिया न ही विभाग ने गंभीरता से लिया

राजगढ़Oct 17, 2019 / 05:12 pm

Rajesh Kumar Vishwakarma

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ब्यावरा. कहने को शासन ने 100 बेड का सात करोड़ रुपए की लागत से न्यू सिविल अस्पताल बना दिया है लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी की शिकार हुई बिल्डिंग में सालभर में ही खामियां उजागर होने लगी हैं। पहली ही बारिश में तमाम प्रकार की पोल बिल्डिंग की खुल गई। कहीं प्लॉस्टर निकल गया तो कहीं औपचारिक तौर पर की गई पुट्टी (कलर) निकलने लगी।

सिर्फ कागजों में ही पूरा हुआ है
पुराना ऑपरेशन थियेटर तो बारिश के बाद भी टपकता रहा जिससे वह चालू ही नहीं हो पाया है। साथ ही वहां लगाई गई मशीनरी के लिए बिजली के तार भी खुले ही छोड़ दिए गए जिससे इन्फेक्शन के डर से अभी तक उसका उपयोग नहीं हो पाया है। अस्पताल को महज चकाचौंध दिखाने के मकसद से ठेकेदार और संबंधित इंजीनियर ने जल्दबाजी में काम कर दिया लेकिन गुणवत्ता की ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में शासन ने जिस मकसद से बिल्डिंग तैयार की थी वह सिर्फ कागजों में ही पूरा हुआ है।


नई बिल्डिंग देखरेख के अभाव में धूल खा रही
नई बिल्डिंग देखरेख के अभाव में धूल खा रही है और पुरानी बिल्डिंग को औपचारिक तौर पर मैंटेनेंस कर छोड़ दिया गया। इससे सिविल अस्पताल इमरजेंसी उपचार, बुखार, सर्दी, जुखाम और डिलिवरी के लिए रह गया है। यहां तक कि पुराने ऑपरेशन थियेटर की आड़ में सीजर और सर्जरी की संख्या में भी इजाफा नहीं हो पा रहा है।

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काम अधूरा छोड़ दिया गया
उल्लेखनीय है कि पुरानी बिल्डिंग के रिपेयरिंग का काम नई बिल्डिंग की तर्ज पर ही था, लेकिन जगह-जगह काम अधूरा छोड़ दिया गया है। इतना बड़ा अस्पातल बनने के बावजूद शौचालयों की दिक्कत बरकरार है। कई चौक हैं तो कई गंदे पड़़े हुए हैं।

 

सालभर में झूला मैन गेट, तार से बांधा
मुख्य गेट पर लगाए गए स्टील के गेट सालभर भी नहीं टिक पाए। गेट की एक साइड का कुंदा टूट जाने से वह लटक गया जिसे तार के सहारे बांधा गया है। जिस पर किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं गया। इसके अलावा अन्य दरवाजे भी कोई जाम है तो कोई आड़ा-टेड़ा। साथ ही पुरानी बिल्डिंग में कई सामान पुराने ही लगा दिए गए हैं जिन्हें की स्थिति भी ठीक नहीं है। पुराने पंखों के साथ ही पुरानी लाइट की सामग्री भी उसमें काम ली गई है। ठेकेदार ने काम पूरा कर दिया है लेकिन ये तरह-तरह की खामियां दिक्कत दे रही है।

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बाहरी चकाचौंध में जुटा प्रबंधन
भले ही बिल्डिंग में तमाम प्रकार की दिक्कतें कायम हो, बेड भी नहीं आए हों लेकिन अस्पताल प्रबंधन 18-19 अक्टूबर को आने वाली लक्ष्य टीम की तैयारियों में जुटी है। टीम को दिखाने बाहरी चकाचौंध की जा रही है, सफाई के साथ ही तमाम कागजी खानापूर्ति करने में प्रबंधन जुटा है। मैटरनिटी, ऑपरेशन थियेटर में प्रोटोकॉल के हिसाब से तैयारियां की जा रही हैं ताकि लक्ष्य टीम को कुछ भी अधूरा या कम न मिले। दो-दो बार सफाई करवाई जा चुकी है, साथ ही किसी भी स्तर पर कोई कमी न रहे इसके पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।

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मैं पीडब्ल्यूडी को बोलता हूं
बिजली का काम पीडब्ल्यूडी ने किया है, मैं उन्हें बोलकर तार ठीक करवाता हूं। मैन गेट का काम भी एक-दो दिन में हो जाएगा। इसके अलावा जहां भी डेंटिंग-पेंडिंग या आधे-अधूरे काम हैैं उन्हें पूरा किया जाएगा।
अजय कुशवाह, सब-इंजीनियर, एनएचएम, राजगढ़

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