इसके तहत हर पंचायत में 500 से 1000 पौधे लगाने के बिल भी लगाए गए, लेकिन जमीन पर यदि देखे तो एक भी पंचायत ऐसी नहीं है जो पिछले तीन सालों में रोपे गए पौधों को दिखा सके।
लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी नतीजा शून्य है। जिले में यदि पौधरोपण की बात करे तो पिछले साल पांच लाख पौधे लगाए गए। इन पौधों को रोपण की शुरुआत हरियाली महोत्सव के साथ कलेक्टर और एसपी की मौजूदगी में कालीपीठ रोड से की गई थी, लेकिन जिस जगह पौधे लगाए गए थे।
वहां पौधे नहीं है। हालात यह है कि परेड ग्राउंड पर सहकारिता मंत्री जब 15 अगस्त को झंडावंदन करने पहुंचे थे तो उनके हाथ से भी पौधा लगवाया गया था, लेकिन यह पौधा नहीं बचा। वहीं प्रभारी मंत्री यशोधराराजे सिंधिया द्वारा मंडी परिसर में पौधा लगाया गया था। उस पौधे का भी नामोनिशान नहीं बचा। तो फिर अन्य पौधरोपण के दौरान पौधे बचे हो ऐसी कल्पना करना भी बेकार है।
फोटो खिचाने के बाद नहीं देखते दोबारा
पंचायतों में दिए गए लक्ष्य के अनुसार कहीं भी पौधरोपण नहीं होता, लेकिन विभाग की पूर्ति के लिए कुछ फोटो जरूर पंचायत प्रतिनिधि अपलोड कर देते है, लेकिन जो पौधे रोपे जाते है उन्हें दोबारा नहीं देखा जाता।
इन मामलों में सबसे बेकार स्थिति कालीपीठ, पिपलोदी, पपड़ेल और चाटूखेड़ा रोड से जुड़ी पंचायतों की है। जहां पथरीला क्षेत्र होने के बाद भी पौधरोपण पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। हां इतना जरूरी है कि बजट हर बार लक्ष्य के अनुसार खर्च कर दिया जाता है।
पौधरोपण के मामले में ऐसा नहीं है कि पंचायतों के प्रतिनिधि ही उदासीनता बरतते हो। अधिकारी भी इसकी निगरानी नहीं करते और तो और जो सब इंजीनियर इस पौधरोपण का मूल्यांकन करते है वे भी मौके पर जाए बिना ही कागजी पूर्ति कर देते है।
पिछले साल बना रिकार्ड
एक ही दिन में पांच लाख से अधिक पौधे लगाने को लेकर जिले को टारगेट था और प्रदेश में छह करोड़ पौधे लगाए जाने थे। जिसकी वीडियोग्राफी आदि भी होनी थी। लेकिन शासकीय अधिकारियों के आयोजनों के अलावा कहीं भी वीडियोग्राफी नहीं कराई गई।
ये रोपे जाते पौधे: शीशम, नीम, इमली, पीपल, गुलमोहर, आम आदि पौधों को किया जाता है रोपण।
फैक्ट फाइल
-वर्ष 2014 में आठ लाख पौधे
-वर्ष 2015 में तीन लाख पौधे
-वर्ष 2016 में चार लाख पौधे
-वर्ष 2017 में पांच लाख पौधे
-वर्ष 2018 में चार लाख 65 हजार का लक्ष्य
इस साल चार लाख 65 हजार पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है और हम जहां भी पौधरोपण कराएंगे। वहां हमारी मानीटरिंग होगी। कई विभागों के अपने-अपने लक्ष्य होते है।
आरएन वर्मा,
डीएफओ राजगढ़