वैक्सीन सिर्फ एंटीडोज, कोरोना मारने की दवाई नहीं!
विशेषज्ञ डॉक्टर्स ने स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है, न ही यह मान लेना सही है कि अब उसका प्रभाव नहीं रहा। इसके अलावा वैक्सीन भी सिर्फ उक्त बीमारी का एंटीडोज है, जो कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है न कि कोरोन को मार डालता है। न ही इस वैक्सीन से कहीं भी कोरोना पूरी तरह खत्म हुआ है। कई लोग वैक्सीन को आम बीमारियों में लगाए जाने वाले वैक्सीन की तरह मान रहे हैं लेकिन हकीकत में यह सिर्फ बचाव का एक माध्यम मात्र है समाधान नहीं।
सारे प्रोटोकॉल टूटे, लोग बेफिक्र होते जा रहे
कथा, भंडारे, शादी, समारोह व अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों के साथ ही तमाम भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रम अब होने लगे हैं। कोरोना काल के दौरान तैयार किए गए तमाम प्रोटोकॉल टूट गए हैं। लोग पूरी तरह से बेफिक्र हो गए हैं। बेफिक्री ऐसी है कि न कोई मॉस्क का उपयोग कर रहा तो न ही दूरियां बनाने पर भरोसा रख रहा। सैनीटाइजर का उपयोग तो मेडिकल स्टोर्स वालों और डॉक्टर्स को छोडक़र कोई कर ही नहीं रहा। तमाम सरकारी दफ्तरों में ढर्रा पुराने पैटर्न पर हो चुका है।
विशेषज्ञ डॉक्टर्स ने स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है, न ही यह मान लेना सही है कि अब उसका प्रभाव नहीं रहा। इसके अलावा वैक्सीन भी सिर्फ उक्त बीमारी का एंटीडोज है, जो कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है न कि कोरोन को मार डालता है। न ही इस वैक्सीन से कहीं भी कोरोना पूरी तरह खत्म हुआ है। कई लोग वैक्सीन को आम बीमारियों में लगाए जाने वाले वैक्सीन की तरह मान रहे हैं लेकिन हकीकत में यह सिर्फ बचाव का एक माध्यम मात्र है समाधान नहीं।
सारे प्रोटोकॉल टूटे, लोग बेफिक्र होते जा रहे
कथा, भंडारे, शादी, समारोह व अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों के साथ ही तमाम भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रम अब होने लगे हैं। कोरोना काल के दौरान तैयार किए गए तमाम प्रोटोकॉल टूट गए हैं। लोग पूरी तरह से बेफिक्र हो गए हैं। बेफिक्री ऐसी है कि न कोई मॉस्क का उपयोग कर रहा तो न ही दूरियां बनाने पर भरोसा रख रहा। सैनीटाइजर का उपयोग तो मेडिकल स्टोर्स वालों और डॉक्टर्स को छोडक़र कोई कर ही नहीं रहा। तमाम सरकारी दफ्तरों में ढर्रा पुराने पैटर्न पर हो चुका है।
फिर शुरू हो गया हाथ मिलाने का क्रम
कुछ दिन हाथ जोडक़र अभिवादन करने की आदत हर वर्ग के लोगों ने शुरू कर दी थी। कोई भी हाथ मिलाने को राजी हो ही नहीं रहा था लेकिन अब फिर से वही पुराना ट्रेंड शुरू होने लगा है। लोग न सिर्फ हाथ मिला रहे बल्कि गले मिलकर बातें कर रहे हैं, कोरोना के बारे में सोच तक नहीं रहे। जबकि वैक्सीन लगवाने के दौरान भी तमाम सावधानियां पूर्ववत रखी जाने की अपील की जा रही है। वहीं, डब्ल्यूएचओ, आईसीएमआर, स्वास्थ्य विभाग ने भी स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस से उतना ही सावधान रहने की जरूरत है जितना हम सालभर से रहते आ रहे हैं।
यह व्यक्तिगत जिम्मेदारी है
यह एक तरह से व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी है, हमें खुद कोरोना की गंभीरता को समझना होगा। प्रशासन एक निश्चित समय तक ही सख्ती कर समझाइश दे सकता है, बाकी कोरोना की भयावहता को हमें खुद समझनाा होगा। फिलहाल टीकाकरण प्रोग्राम चल रहे हैं, लेकिन कोरोना से बचाव के तमाम प्रोटोकॉल्स पुराने ही हैं।
-नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर, राजगढ़
कुछ दिन हाथ जोडक़र अभिवादन करने की आदत हर वर्ग के लोगों ने शुरू कर दी थी। कोई भी हाथ मिलाने को राजी हो ही नहीं रहा था लेकिन अब फिर से वही पुराना ट्रेंड शुरू होने लगा है। लोग न सिर्फ हाथ मिला रहे बल्कि गले मिलकर बातें कर रहे हैं, कोरोना के बारे में सोच तक नहीं रहे। जबकि वैक्सीन लगवाने के दौरान भी तमाम सावधानियां पूर्ववत रखी जाने की अपील की जा रही है। वहीं, डब्ल्यूएचओ, आईसीएमआर, स्वास्थ्य विभाग ने भी स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस से उतना ही सावधान रहने की जरूरत है जितना हम सालभर से रहते आ रहे हैं।
यह व्यक्तिगत जिम्मेदारी है
यह एक तरह से व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी है, हमें खुद कोरोना की गंभीरता को समझना होगा। प्रशासन एक निश्चित समय तक ही सख्ती कर समझाइश दे सकता है, बाकी कोरोना की भयावहता को हमें खुद समझनाा होगा। फिलहाल टीकाकरण प्रोग्राम चल रहे हैं, लेकिन कोरोना से बचाव के तमाम प्रोटोकॉल्स पुराने ही हैं।
-नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर, राजगढ़