ब्यावरा.रेलवे में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने और वार्षिक फीडबैक लेने उज्जैन जोन की डीएसपी रश्मि दुबे अग्रवाल शनिवार को शहर पहुंची। उन्होंने मीडिया से बातोंबातों में कहा कि आपके यहां के रोड काफी खराब है, इसलिए हमें ट्रेन से ही निरीक्षण के लिए आना पड़ा।
पिछली बार भी हम निरीक्षण के लिए आए थे, तब भी रोड की हालत काफी खराब थी। हालांकि उन्होंने कहा कि ट्रेन के रूट से शेड्यूल आसान होता है। गुना के बाद उन्होंने ब्यावरा जीआरपी थाने का निरीक्षण किया, फिर कोटा-इंदौर इंटरसिटी से वे शाजापुर पहुंची। उन्होंने थाने के माल खाने, कैदी खाने और ऑनलाइन सिस्टम के जायजा लिया।
निरीक्षण के दौरान डीएसपी को जीआरपी थाने के तीन कम्प्युटर सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमीनल ट्रेकिंग नेटवर्किंग एंड सिस्टम्स) से जुड़े मिले। एक अन्य कम्प्युटर नहीं जुड़ा होने पर डीएसपी ने उसे भी जोडऩे का जीआरपी प्रबंधन से कहा। उन्होंने बताया कि सीसीटीएनएस से सभी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज होती हैं। इसकी एक-एक अपडेट हमारे कंट्रोल रूम में रहती है। यानी भोपाल, इंदौर या उज्जैन में बैठकर उक्त कम्पलेन का स्टेटस पता किया जा सकता है। जीआरपी हेल्प एप्स सहित हाईटैक हो चुकी रेलवे की व्यवस्थाओं में एक और नया एप्स रेलवे ने एक सितंंबर से लांच किया है। डीएसपी रश्मि दुबे अग्रवाल ने बताया कि सिटीजन पोर्टल एप्स के नाम से लांच हुए इस एप्स में रेलवे जीआरपी से जुड़ी पूरी जानकारी सिटीजन भी देख सकते हैं। जैसे पहले शिकायतों और उनके समाधान का स्टेटस सिर्फ जीआरपी स्टॉफ और हम ही लोग देख सकते थे, सिटीजन पोर्टल पर अब आम आदमी भी इसका पूरा ब्यौरा देख पाएंगे। स्टॉफ से रूबरू हुई डीएसपी के सामने मैन मुद्दा जीआरपी थाने की बिल्डिंग का सामने आया। पर्याप्त जगह नहीं होने से मालखाने और कैदियों को रखने की भी पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे में उन्होंने रेलवे के हायर अधिकारियों से थाने की नई बिल्डिंग के प्रपोजल को आगे पहुंचाने की बात कही। इसके लिए मांग पत्र रेल मंडल को जाता है, डीआरएम लेवल तक मुद्दा पहुंचाने के लिए पहले जीआरपी से डीएसपी, एसपी लेवल तक मांग की जाती है। इसके बाद उस पर अमल होता है।