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फर्जी हस्ताक्षर से मुआवजा निकालने की तैयारी

locationराजगढ़Published: Dec 16, 2018 02:31:15 pm

Submitted by:

Amit Mishra

एसडीएम ने एफआइआर दर्ज कराने के लिए थाने को लिखा पत्र…

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फर्जी हस्ताक्षर से मुआवजा निकालने की तैयारी

राजगढ़। मोहनपुरा सिंचाई परियोजना में फर्जी भुगतानों और भुगतानों में हो रही दलाली को लेकर लगातार शिकायतें हो रही हैं, लेकिन न तो मामलों की जांच होती है और न ही कार्रवाई। लेकिन अब जो मामला सामने आया है, उससे मुआवजे के बड़े राज खुल सकते हैं। इसमें गांव से लेकर मोहनपुरा परियोजना और मोहनपुरा परियोजना से लेकर भू-अर्जन से जुड़े लोग मिले हुए नजर आते हैं।

आखिरी समय में कागजात पकड़ाए…
इस बार मामला समेली गांव की एक महिला के भुगतान का है, इसमें एसडीएम, तहसीलदार एवं सिंचाई परियोजना के ईई के फर्जी हस्ताक्षर से भुगतान निकलने की तैयारी की जा रही थी। आखिरी समय में कागजात पकड़ाए और एसडीएम ने पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के लिए कोतवाली थाने को पत्र लिखा। लेकिन यहां किसी तरह की एफआइआर नहीं हुई।

 

क्या है पूरा मामला…
जानकारी के अनुसार समेली गांव में रहने वाली कमलाबाई को पांच लाख रुपए का भुगतान हो चुका है, लेकिन कमलाबाई के परिजन अशोक शर्मा और ब्यावरा का राहुल कुमार शर्मा व मोहनपुरा में अस्थाई रूप से काम करने वाला जयप्रकाश गूर्जर सहित कलेक्ट्रेट में कार्यरत सत्यम् श्रीवास्तव ने मिलकर एक प्रपंच रचा। इसमें 10 लोगों की सूची मोहनपुरा सिंचाई परियोजना से कलेक्ट्रेट भुगतान के लिए गई।

दोबारा करवा रहे थे भुगतान…
यहां एसडीएम के हस्ताक्षर के बाद यह फाइल भू-अर्जन भुगतान कार्यालय पहुंची। लेकिन यहां 10 लोगों की सूची में 11वां नाम जोड़ा और पुरानी फाइल हटाकर उसकी जगह पर नया कागज रख दिया। भुगतान के लिए जब कमलाबाई का नाम सर्च हुआ, तो उसे ही पहले ही भुगतान होने के बात सामने आई। हालांकि इस मामले में लिप्त लोगों ने अकाउंट नंबर जरूर बदल लिया था। फिर भी मामला पकड़ में आ गया।

स्केन करके हस्ताक्षर बनाया गया…
जांच में पाया गया कि जो कागज बाद में लगाया गया, वह स्केन करके हस्ताक्षर बनाते हुए मामला तैयार किया गया है। ऐसे में सबसे पहले प्रकाश, बाद में राहुल और इसके बाद जेपी और सत्यम् से पूछताछ की गई। मामले के खुलासे के बाद पता लगा कि इस भुगतान के बाद ढाई लाख हितग्राही और ढाई लाख में अन्य लोगों को भुगतान होना था। जो इस पूरे मामले से जुड़े हुए थे।


जांच के लिए बनाई गई टीम…
इस पूरे मामले की जांच के लिए तहसीलदार, एसएलआर और ईई मोहनपुरा की संयुक्त टीम का गठन किया गया है। जो ऐसे अन्य मामलों की जांच करेंगे। अनुमान है कि इस तरह के और मामले भी सामने आ सकते हैं। क्योंकि जिस सफाई से यह कागज बदले गए, कहीं न कहीं ऐसा मामला पूर्व से चला आ रहा है।

नहीं देते जानकारी…
मोहनपुरा डूब क्षेत्र में आने वाले कई लोगों के फर्जी दस्तावेज लगाकर भुगतान का वितरण किया गया है। इसको लेकर कुछ आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा जानकारी मांगी गई। लेकिन विभाग द्वारा जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती। फिर चाहे मामला राजस्व विभाग का हो या फिर मोहनपुरा सिंचाई परियोजना का।

अब जरूर मामले खुलेंगे…
मोहनपुरा सिंचाई परियोजना में बड़े घोटाले हुए हैं। इसकी शिकायत राजगढ़ से लेकर भोपाल लोकायुक्त तक में की गई है। लेकिन अभी तक जांचें दब रही थीं, अब जरूर मामले खुलेंगे और इसमें बड़े-बड़े नाम सामने आएंगे।
– अजय दुबे, आरटीआई एक्टिविस्ट

एफआइआर के लिए पत्र लिखा है
जैसे ही मामला सामने आया। एक-एक कर सभी से पूछताछ की गई। कागज स्पष्ट है कि फर्जी हैं, क्योंकि उसमें मेरे हस्ताक्षर तक स्केन कर लगाए गए हैं। मामले में कोतवाली थाने को एफआइआर के लिए पत्र लिखा गया है।
-बृजेन्द्र रावत, एसडीएम राजगढ़

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