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बाजार में औने-पौने दाम में बिकने वाली प्याज के भाव छू रहे आसमान

locationराजगढ़Published: Dec 03, 2017 12:01:01 pm

Submitted by:

brajesh tiwari

नासिक की प्याज नहीं आने से बढ़े दाम, तीन माह में दो रुपए किलो से 50 रुपए तक पहुंचे भाव

ब्यावरा/राजगढ़। पहले आठ, फिर छह और फिर औने-पौने दाम में खरीदी गई प्याज के दाम अब आसमना छूने लगे हैं। जिस प्याज को दो रुपए किलो में तीन माह पहले कोई नहीं पूछ रहा था उसी के भाव खेर्ची में अब 50 रुपए किलो हैं और थोक में 30 से 35 है। नासिक में हुई प्याज की कटौती और स्थानीय स्तर पर पानी कमी के कारण अचाकन घटे उत्पादन के कारण प्याज का गणित तीन माह में ही बिगड़ गया है। शासन ने जिस प्याज खरीदी पर तीन माह पहले 42 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, अब उसी प्याज की महंगाई की मार आम नागरिकों को सताने लगी है। हालात यह है कि ब्यावरा सहित इंदौर-भोपाल जैसे बड़े शहरों में प्याज ढंूढऩे से नहीं मिल रही।

बड़ा कारण : नासिक के प्याज में कटौती
देश की बड़ी और नामी मंडियों में शुमार नासिक की लाल प्याज का अपना क्रेज है। हर बार बड़ी तादाद में वहां से प्याज आती थी, लेकिन वहां भी प्रभावित हुए उत्पादन के कारण देश की बड़ी मंडियों में उक्त प्याज नहीं पहुंच पाई इसलिए प्याज के भाव का गणित रबी के सीजन के शुरुआत में ही गड़बड़ा गया है। आने वाले समय में प्याज के दाम में और बढ़ोतरी के आसार हैं। बता दें कि ब्यावरा में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और उज्जैन की मंडियों से सब्जियां आती है। वहीं पर आने वाली नासिक की प्याज भी शहर से सीधे कनेक्टेड है।

एक ही तरह की उपज बोवने से गिरता है ग्रॉफ
एक ही तरह की उपज बोने से गिरता है ग्रॉफ भले ही पानी के कारण हो या तीन माह पहले प्याज खरीदी-बिक्री में हुएबड़े नुकसान का सबक सभी में नुकसान किसानों का ही है। इसमें बड़ा कारण यह भी है कि एक ही तरह की उपज की बोवनी कर देने से उसका ग्रॉफ स्वत: ही गिर जाता है। कुछ साल पहले अचाकन प्याज के भाव बढऩे से तमाम किसानों ने अधिकाधिक मात्रा में बीते साल प्याज की बोवनी कर दी।न सिर्फ बोवनी की बल्कि अन्य उपज की ओर ध्यान ही नहीं दिया। यह स्थिति अकेले राजगढ़ जिले में नहीं बल्कि विभिन्न प्रांतों के किसानों में रही। स्थिति ऐसी रही कि प्याज का उत्पादन बढऩे से भाव गिरे और शासन को मजबूरन खरीदना पड़ा। फिर आधे खराब हुएऔर आधे को औने-पौने दाम में खरीदा गया।

पिछले साल से आधा हुआ रकबा
उपज – 2017 – 2016
धनिया – 40 हजार 51 हजार
प्याज – 2500 5050
लहसून – 200 – 4040
गेहूं – 1 लाख 37 हजार 1 लाख 68 हजार
चना 1 लाख आठ हजार 86 हजार
मसूर 78 हजार 69 हजार
सरसों 8 500 6900
कुल 334830 हैक्टयेर कुल है जिले में रबी का रकबा।
(कृषि और उद्यानिकी से प्राप्त जानकारी हैक्टेयर में)
सरकार ने तीन माह प्याज खरीदी पर खर्च किए थे 42 करोड़
522340 क्विंटल प्याज कुल खरीदी।
417872000 रु. खरीदी में खर्च (8 रु. किलो)।
1044680 रु. परिवहन पर खर्च (2 रु. प्रति क्वींटल)।
7312760 रु. लोडिंग-अनलोडिंग, हम्माली खर्च (14 रु. प्रति क्विंटल)।
108000 क्विंटल प्याज रेक से हुई रवाना (कुल छह रेक लगी)।
648000 रु. खर्च रेक पर लोडिंग-अनलोडिंग (6 रु. प्रति क्विंटल)।
160000 क्विंटल प्याज की नीलामी (2 से 2.50 रु. प्रति किलो)।
400000 रुपए नीलामी में शासन को मिले (880000 का नुकसान उठाकर)।
427757440 रुपए प्याज खरीदी पर कुल खर्च।
पानी की कमी से किसान ऐसी ही उपज बो रहे हैं जिसमें सामान्य पानी से काम चल जाए। इसी कारण प्याज में कटौती हुई है। नतीजा यह है कि इनके रकबे में कटौती हुई है। हालांकि अभी बुआई का दौर जारी है,लेकिन पानी की कमी के कारण ज्यादा बढ़ोतरी के आसार नहीं है।
– बीएल अहिरवार, तकनीकि विशेषज्ञ, उद्यानिकी, ब्यावरा
नासिक से आने वाले प्याज बारिश की अधिकता के कारणखराब हो गए। उन्हीं प्याज से तमाम मंडियों की स्थिति क्लीयर होती है। इस बार वहां से प्याज नहीं आने से भाव में तेजी है। आने वाले दिनों में और भाव इसलिए बढ़ेंगे क्योंकि इस बार उत्पादन काफी कम है।
– फुलसिंह कुशवाह, थोक सब्जी विक्रेता, ब्यावरा
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