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2011 केे सर्वे में पात्र हितग्राही अब अपात्र, वसूली के लिए भेजा नोटिस

locationराजगढ़Published: Sep 02, 2018 01:29:11 pm

Submitted by:

Ram kailash napit

शासन के 13 बिन्दुओं पर खरे नहीं उतरे 688 हितग्राही, होगी वसूली

hitgrahi

In different districts of the district, these are made of PM housing.

ब्यावरा. प्रधानमंत्री आवास बनाने में जिस राजगढ़ जिले के राष्ट्रीय स्तर पर पहला पुरस्कार मिला था, वहीं अपात्र हितग्राही आवास में निकल रहे हैं। सामाजिक, आर्थिक व जातिगत गणना (सेक)-2011 और ग्रामोदय से भारत उदय में जोड़े गए नाम में भी ऐसे सैकड़ों हितग्राही है जो शासन के 13 बिंदुओं के हिसाब से पात्र नहीं है। ऐसे में जिला पंचायत ने ऐसे तमाम हितग्राहियों से वसूली के नोटिस तहसलीदार के माध्यम से भिजवाए हैं। इनमें से बिल्डिंगधारी ऐसे हितग्राही भी शामिल हैं जो पात्र नहीं होने के बावजूद सेक डाटा में दर्ज थे। जिन अपात्रों ने आवास की राशि लेकर निर्माण कर लिया है उनसे शासन स्तर पर वसूली के लिए शासन की ओर से निर्देश मिले हैं। हालांकि चुनिंदा लोगों को नोटिस भेजा गया है, लेकिन हकीकत में यदि सभी आवासों की जांच हो तो अपात्र हितग्राहियों की लाइन लग सकती है।

लॉक कैटेगिरी में पहुंच रहा जिला
प्रधानमंत्री आवास के मामले में ऑनलाइन पोर्टल में राष्ट्रीय स्तर पर जिला लॉक कैटेगिरी में जा रहा है। इससे न सिर्फ जिले की छबि खराब हो रही है बल्कि उस स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं जबकि पहले स्थान पर जिला हुआ करता था।बता दें कि यदि किसी आवास के बनने में एक साल से अधिक का समय लगता है तो वह ऑनलाइन स्वत: ही लॉक कैटेगिरी में आजाता है। रेग्यूलर लॉक कैटेगिरी की संख्या बढऩे से ही वसूली और नोटिस की नौबत आई है।

विभाग का तर्क : शासन के निर्देश
नोटिस के साथ ही वसूली और अपात्र पर कार्रवाई के मामले में विभाग का तर्क है कि शासन स्तर पर ही उन्हें निर्देश मिले हैं कि ऐसे तमाम अपात्रों से वसूली की जाए जो राशि मिलने के बावजूद मकान नहीं बना रहे। साथ ही उनसे भी राशि ली जाए जो पहले किसी आवास की योजना का लाभ ले चुके हैं। इन्हीं तमाम बिंदुओं के आधार पर वसूली की कार्रवाई की जाएगी। शासन ने स्पष्ट किया है कि 2011 में हुए सर्वे में जिन लोगों का चयन हुआ था, उनका 2016 में प्रति परीक्षण किया गया। तीन तरह की कैटेगिरी में नोटिस दिए गए हैं, इनमें पहला गलत दस्तावेज दिखाकर पात्रता सिद्ध करने वाले, दूसरा पहली किश्त के बाद भी काम शुरू नहीं करने वाले और तीसरा जिनके आवास में छत डालना शेष है।

जरूरतमंद अभी भी झोपडिय़ों में
सेक डाटा को आधार बनाकर जिला पंचायत जिन पात्र हितग्राहियों की बात करती है असल में उनसे ज्यादा जरूरी वे जरूरतमंद हितग्राही हैं जो बेघर हैं, लेकिन किसी कारण वश न उनका नाम सेक-2011 में आ पाया न ही पिछले साल हुए ग्रामोदय से भारत उदय कार्यक्रम में। उन्हें पोर्टल पर नाम नहीं होने के कारण आवास नहीं मिल पाया। जबकि हकीकत में जिले की तमाम ग्राम पंचायतों में जिन हितग्राहियों को आवास मिले उनमें से आधे अपात्र हैं।

फैक्ट-फाइल
-30, 502 आवास अभी तक बने।
-21,000 आवास बनने पर मिला था पुरस्कार।
-688 हितग्राहियों को भेजे हैं नोटिस।
-22, 393 आवास का लक्ष्य 2018-19 के लिए मिला।
-14, 547 निर्माणाधीन आवास जिले में।
(नोट : जिपं से प्राप्त जानकारी के अनुसार)
अधूरे और ऐसे आवास जहां अपात्रता की स्थिति बनीं ऐसे जिले के करीब 688 हितग्राहियों को नोटिस दिया गया है। अब उनसे शासन स्तर पर वसूली की जाना है।
आशीष गुप्ता, जिला कॉर्डिनेटर, प्रधानमंत्री आवास, राजगढ़
2011 में सिर्फ सर्वे हुआ था, उस दौरान किसी को पता नहीं था कि कौन 13 बिंदुओं में पात्र है या नहीं। 2016 में जब दोबारा चिह्नित किया गया तो बिंदुओं के हिसाब से पात्रता निर्धारित की गई। शासन के निर्देश पर ही वसूली की प्रक्रिया की गई है। इसमें उन्हीं लोगों से वूसली की जा रही है जो या तो अपात्र हैं या जिनके आवास अधूरे हैं।
-ऋषभ गुप्ता, सीईओ, जिला पंचायत, राजगढ़
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