फिलहाल फुट ओवर ब्रिज के साथ ही दूसरे प्लेटफॉर्म का विस्तार किया जा रहा है। प्लेटफॉर्म एक ही तर्ज पर दूसरे को भी विकसित किया जाना है। आईओडब्ल्यू द्वारा मेंटेनेंस का काम शुरू भी कर दिया गया है। अब जैसे ही ब्यावरा में जंक्शन बनेगा तो डी से बी क्लास वाला स्टेशन बन जाएगा। इससे अत्याधुनिक सुविधाओं का लाभ यात्रियों को मिलेगा।
…और ड्रॉइंग में उलझा ९८ लाख का एफओबी
दोनों प्लेटफॉर्म के बीच फुट ओवर ब्रिज बन जाने से स्टेशन की सूरत ही बदल जाएगी। साथ ही लोगों को काफी राहत इससे मिलेगी,लेकिन ९८ लाख रुपए की लागत से बनने वाला फुट ओवर ब्रिज अभी भी ड्रॉइंग में उलझा हुआ है। करीब सालभर पहले स्वीकृत हो चुकी राशि के बावजूद काम शुरू नहीं हो पाया है। हैदराबाद की एजेंसी के पास ड्रॉइंग के लिए उलझे एफओबी का काम काफी समय से चल नहीं पा रहा है।
ट्रेनों की संख्या और इनकम से तय होती है ग्रेड
रेलवे के अफसरों के अनुसार ए से एफ तक के ग्रेड रेलवे में होते हैं। ए ग्रेड के स्टेशनों पर सर्व सुविधा होती है, दिल्ली, मुंबई, भोपाल, इंदौर सहित अन्य बड़े स्टेशन इनमें शामिल हैं जहां यात्रियों को वाई-फाई तक की सुविधाएं होती हैं। इसके बाद बी, सी और डी के साथ ही ई, एफ ग्रेड तय की जाती है। एफ ग्रेड सबसे आखिरी की होती है जहां ट्रेन रुकती तो है लेकिन वहां न प्लेटफॉर्म होता है न ही कोई स्टेशन, महज यात्री उतरते हैं। करनवास सहित अन्य छोटे स्टेशन इसका उदाहरण हैं। बी, सी, डी और ई ग्रेड यात्रियों की संख्या और अर्निंग के हिसाब से तय होते हैं।
ये सुविधा होगी बी ग्रेड में
प्लेटफॉर्म पर क्लीन बाथरूम, वॉटर कूलर।
टिकट विंडो के साथ ही स्टॅाफ बढ़ेगा।
ट्रेनों की संख्या में इजाफा, स्टॉपेज भी बढ़ेंगे।
लाइट, पंखे सहित यात्रियों के लिए वेटिंग हॉल।
स्टेशन को शहर से जोडऩे वाला प्रमुख मार्ग पक्का होगा।
पानी की संपूर्ण व्यवस्था, समय पर सफाई भी।
(रेलवे द्वारा तय की गई गे्रडिंग के अनुसार)
रामगंजमंडी लाइन का काम शुरुआती दौर में है, जहां से होकर गुजरेगी वहां सुविधाएं बढ़ेंगी। साथ ही जो स्टेशन जंक्शन बनेंगे वहां ग्रेडिंग भी बढ़ेगी। ब्यावरा भी उनमें से ही एक रहेगा, जो डी से बी ग्रेड में पहुंच सकता है।
-आईए सिद्धिकी, पीआरओ, ब्यावरा