राजगढ़

railway latest news : 2022 तक भोपाल से नहीं दौड़ पाएगी ट्रेन, करना पड़ सकता है और इंतजार

-डीआरएम ने स्पष्ट किया प्रोजेक्ट में राशि भरपूर, काम में हो रही लेटलतीफी, प्रोजेक्ट बढ़ा इसलिए भी देरी
 
 

राजगढ़Jul 12, 2019 / 03:55 pm

Rajesh Kumar Vishwakarma

ब्यावरा.राजस्थान सीमा से लगे घाटोली में केलखोयरा के पास इस तरह से पहाड़ काटकर निकाली गई है रेल लाइन।

ब्यावरा। जिस रामगंजमंडी-भोपाल रेलवे लाइन railway line पर वर्ष-2022 तक ट्रेन train news दौड़ाने के सपने जिले की जनता को दिखाए जा रहे हैं वे पूरे होते नजर नहीं आ रहे। अभी जिलेवासियों को इसके लिए और इंतजार करना पड़ सकता है।

दरअसल, करीब 1200 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में राशि की दिक्कत शुरू से नहीं रही। यहां प्रशासनिक स्तर पर भूमि-अधिग्रहण सहित अन्य तकनीकि कार्य अधर में थे। ऐसे में प्रोजेक्ट लागू होने के 10 साल बाद भी मप्र की सीमा में काम को गति नहीं मिल पाई और यह भी माना जा रहा है कि प्रोजेक्ट बड़ा है, ऐसे में आगामी तीन साल में ही ट्रेक बनकर ट्रैन दौडऩे की स्थिति बन पाना संभव नहीं है।

 

बता दें कि वर्तमान में राजस्थान सीमा से आगे अर्थवर्क होना बाकी है, जिसे पिछले साल ही शुरू करने के दावे किए जा रहे थे। वहीं, मप्र सीमा में ब्यावरा, नरसिंहगढ़, श्यामपुर, कुरावर सहित अन्य जगह भूमि-अधिग्रहण ही नहीं हो पाया। इससे प्रोजेक्ट हर दिन लेट होता जा रहा है। फिलहाल तकनीकि रूप से ही उक्त प्रोजेक्ट को गति नहीं मिली है, इसीलिए लेटलतीफी हो रही है।

नहीं दोड़ पाएगी भोपाल तक ट्रेन
बीते सात साल से उक्त प्रोजेक्ट कागजों में ही दौड़ रहा है। स्वीकृति के पांच साल बाद भी भूमि-अधिग्रहण तक ही आकर भोपाल-रामगंजमंडी का मप्र की सामा वाला हिस्सा बचा है। ऐसे में अब माना जा रहा है कि महज तीन साल के भीतर ही ट्रेन का काम पूरा होकर उस पर गाड़ी दौडऩा प्रायोगिक तौर पर संभव नहीं है। ऐसे में तमाम प्रकार के वर्ष-2022 तक ट्रेन दौडऩे के अधूरे लग रहे हैं। अभी जिले की जनता को सीधा भोपाल से ट्रैन की सुविधा के लिए और इंतजार करना होगा।

 

जानेें क्यों राजस्थान में तेजी से चल रहा काम?
डीआरएम ने स्पष्ट किया है कि राजस्थान के कोटा मंडल में चल रहे काम को गति इसलिए मिली है कि वर्ष-2012 से ही वहां के काम को हरी झंडी मिली हुई है। जबकि मप्र सीमा में ब्यावरा से भोपाल तक का काम इसी साल रद्द कर दिया गया था। तमाम प्रयासों के बाद 2014 में दोबारा इसकी स्वीकृति हुई और ब्यावरा से भोपाल तक की लाइन भी बनना तय हुआ। राजस्थान में चार साल पहले से काम चालू होने और मप्र सीमा में सेंक्शन बाद में होने के कारण ऐसी स्थिति बनीं। इसीलिए अभी तक मप्र में भूमि-अधिग्रहण तक ही मामला सिमट कर रह गया है।

फैक्ट फाइल
1365 करोड़ से बनना है रामगंजमंडी-भोपाल लाइन।
-700 करोड़ रुपए का प्रपोजल शुरू में बना था, जिसे बाद में बढ़ाया।
-200 करोड़ वर्ष-2016 में मिले थे।
-झालावाड़ तक चालू हो चुकी है लाइन।
-मप्र सीमा में काम के नाम पर अधूरा भू-अर्जन।
-260 किमी कुल लंबाई।
-2012 में कैंसल हो गई थी लाइन, 2014 में स्वीकृति मिली।
(नोट : भोपाल रेल मंडल से प्राप्त जानकारी के अनुसार)

 

बैरागढ़-निशातपुरा-भोपाल के बीच बनेगी तीसरी लाइन
रामगंजमंडी लाइन के लिए भोपाल के बेरागढ़-निशातपुरा-भोपाल तक 10 किमी हिस्से के लिए अतिरिक्त तीसरी लाइन डलेगी। वर्तमान में मौजूद अप-डाउन लाइन के अलावा तीसरी लाइन यहां डलेगी, जो सीधे ब्यावरा से कनेक्ट रहेगी। यानि अप-डाउन ट्रेक से उक्त लाइन का कोई संबंध नहीं होगा। साथ ही निशातपुरा-भोपाल तक उक्त लाइन जाएगी। पहले यह सीधे निशातपुरा निकाली जा रही थी, लेकिन 2014 में हुई दोबारा स्वीकृति के बाद इसे बेरागढ़ से होकर निकाला गया।


प्रोजेक्ट बड़ा है टाइम तो लगेगा
2012 में ब्यावरा से भोपाल तक के लिए लाइन कैंसल हो जाने के बाद प्रोजेक्ट को 2014 में गति मिली। इसीलिए राजस्थान की अपेक्षा हमारे यहां रफ्तार धीमी है। ऊपर से प्रोजेक्ट बढ़ा भी है, इसीलिए लेटलतीफी हो रही है। काम पूरा कर ट्रेन दौड़ाने के लिए कोई निर्धारित समयसीमा नहीं दी जा सकती।
-आर. एस. राजपूत, प्रभारी डीआरएम (एडीआरएम), भोपाल

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