राजगढ़

जैविक खेती ; पारंपरिक छोड़ गेंदे की जैविक खेती अपनाई, चार गुना तक बढ़ी आमदनी

लाभ के धंधे वाली खेती ; खेतों की दशा सुधरी, रासायनिक पदार्थों-कीटनशाकों से होने वाले नुकसान से भी बचाव

राजगढ़Nov 26, 2020 / 06:40 pm

Rajesh Kumar Vishwakarma

ब्यावरा.गेंदे के फूल से अच्छी कमाई करने के बाद अपनी सफलता की कहानी बताता किसान।

ब्यावरा.तमाम तरह के महंगे कैमिकल, जमीन को नुकसान पहुंचाने वाली रासायनिक (chemical) दवाइयों के भरपूर छिडक़ाव के बावजूद प्राकृतिक आपदाओं और कीटनाशकों के प्रकोप से घिरी रहने वाली पारंपरिक फसलों को छोड़ क्षेत्र के कुछ किसानों ने जैविक खेती का रास्ता अपनाया। इससे उनकी तकदीर बदल गई और आमदनी चार गुना तक बढ़ गई।
दरअसल, ब्यावरा (biraora) क्षेत्र के कुछ किसानों ने पंरपारगत खेती से मुंह मोडक़र गेंदे के फूल की की जैविक खेती अपनाई। उद्यानिकी द्वारा वर्ष-2019-20 में जिले के ब्लॉक में पुष्प योजना (flower scheem) के तहत संकर गेंदा के बीच वितरित किए थे, जिससे किसानों को काफी लाभ मिला। इस जैविक खेती (Organic farming) ने किसानों की न सिर्फ आमदनी बढ़ाई बल्कि हानिकारक कीटनाशक से भी दूरी बढ़ा दी है, जिससे खेत भी ठीक होने लगे हैं। खिलचीपुर के किसान रमेशचंद्र मालाकार बताते हैं कि मैं 6-7 साल से गेंदे की जैविक खेती करता आया हूं। पहले पारंपरिक खेती से महज गुजारा ही होता है। गेंदे की जैविक खेती कर रहा हूं तब से आज तक मुझे बहुत अच्छा लाभ व मेरी आमदनी में चार गुना इजाफा हुआ है। जिले के किसानों से भी अपील है कि योजना का लाभ लेकर जैविक खेती की ओर रुख करें।
मंडियों के साथ ही लोकल में भी बढ़ी फूल की मांग
गेंदे के फूल की डिमांड बाहर की मंडियों के साथ ही लोकल में भी बढ़ी। हाल में त्योहारी सीजन में भी काफी मांग फूलों की रही। वैसे भी ब्यावरा शहर जिले का सबसे बड़ा कमर्शियल जोन है, ऐसे में यहां सर्वाधिक तेजी फूल, खेती के मार्केट में हैं। हालांकि बावजूद इसके ब्यावरा (biaora) सहित जिले में बाहर से भी फूल मंगाए जाते हैं। इसी तारतम्य में खेती कर रहे किसानों और इनसे प्रभावित हुए अन्य किसानों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि उद्यानिकी की पुष्प योजना के तहत और किसानों को जोड़ें, प्रोत्साहित करें ताकि किसानों को लाभ मिल सके। जिपं सदस्य चंदरसिंह सौंधिया ने खुद इस संबंध में कलेक्टर को पत्र लिखकर इसे बढ़ावा देने की मांग की है।
चार गुना तक हुआ फायदा
पहले जो खेती हम करते थे उसमें सिर्फ गुजारा ही चल रहा था, यह नई जैविक पद्धति अपनाने से आमदनी चार गुना बढ़ गई। शुरू में जैविक खेती में थोड़ा कम प्रॉफिट रहता है लेकिन बाद में बिना किसी रासायनिक पदार्थ के अच्छी पैदावार होती है।
-सतीश कुशवाह, किसान, ब्यावरा
किसानों को प्रेरित करेंगे
उद्यानिकी के तहत ही यह योजना है, हालांकि फिलहाल फंड की दिक्कत है लेकिन हम मांग रखेंगे कि इसे लेकर स्वीकृति मिले। ताकि किसान जैविक खेती के प्रति जागरूक हों। हम कोशिश में हैं कि इस योजना को और गति मिले।
-पी. आर. पांडे, उप-संचालक, उद्यानिकी

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