दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में बढ़ी संख्या के बाद आए कम्यूनिटी स्प्रैट को अब स्थानीय तौर पर भी समझा जा सकता है। कम्यूनिटी स्प्रैट यानि सामाजिक संक्रमण… अर्थात ऐसा संक्रमण जिसका सोर्स समझ न आए या यह समझ पाना मुश्किल हो कि आखिर संक्रमण की वजह क्या रही हो? जिले में भी फीवर क्लीनिक के अलावा अन्य तमाम प्रकार के जो केसेस कोरोना पॉजिटिव के सामने आए हैं उनमें यही बात सामने आई है कि संक्रमण समझ नहीं आया।
अब जिले में भोपाल सी सख्ती की जरूरत
भोपाल में किए गए 10 दिन के लॉक डॉउन की जरूरत शहर सहित जिले में भी है। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने ब्यावरा को लॉक डॉउन करने जिला प्रशासन को लिखा भी है। प्रशासन की इसके पीछे सिर्फ यही मंशा है कि लोग यदि भीड़ में जाने से बचेंगे तो कुछ हद तक संक्रमण को रोका जा सकेगा। भोपाल में या अन्य कहीं भी हुई सख्ती के बाद कुछ हद तक संक्रमण पर अंकुश लगा है, अब ऐसी ही सख्ती की जरूरत हमारे जिले को भी है।
वैसे वर्तमान में आंकड़ों की बात करें और जो भर्ती मरीज हैं उनका एनालिसिस किया जाए तो इनमें से अधिकतर ए-सिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले मरीज) हैं। जिन्हें कोरोना तो हुआ लेकिन बाहरी तौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे। किसी के संपर्क में आने से या तो वे संक्रमित हो गए या फिर उनका शरीर, उनकी इम्यूनिटी इसे वहन कर गई। जिनते भी ए-सिम्प्टोमैटिक मरीज आ रहे हैं उनमें अधिकतर की हिस्ट्री समझ नहीं आ रही इसलिए यह भी संभव है कि हम कम्यूनिटी स्प्रैट की ओर हैं।
हमने लॉक डॉउन का लिखा है
देखिए लॉक डॉउन ही एक मात्र जरिया अब है, जिस हिसाब से आंकड़ा बढ़ रहा है उस हिसाब से सख्ती की जरूरत है। अभी काफी जांचें पेंडिंग हैं।
-डॉ. महेंद्रपाल सिंह, नोडल अधिकारी, कोविड-19
त्योहारों पर सौचेेंगे
लॉक डॉउन की मांग उठ रही है लेकिन फिलहाल ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हो रही है। हां, यदि जरूरत पड़ी तो हम त्योहारों पर इसे करेंगे।
-संदीप अष्ठाना, एसडीएम, ब्यावरा