जिसे सुधारने के लिए अब जिला प्रशासन शिक्षा और स्वास्थ्य पर ही पूरा फोकस कर रहा है। बीते दिनों आई मुंबई की ईसीजीसी टीम ने जिले में विजिट किया था, जिसके माध्यम से स्मॉर्ट क्लासेस सरकारी स्कूलों में और बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही स्वास्थ्य की दिशा में काम करते हुए अतिरिक्त फंड एनेस्थैटिक के लिए मुहैया करवाने को कहा गया है।
स्कूलों की दयनीय स्थिति, यह भी एक कारण
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या भले ही भरपूर हो लेकिन छात्रों की संख्या घटते क्रम में हैं। भले ही स्मार्ट क्लासेस और अन्य काम कर दिए गए हों लेकिन जमीनी प्रयास कम होने से शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी सिस्टम गड़बड़ा रहा है। खासकर एंटीरियर के स्कूलों की स्थिति दयनीय है। उनकी स्थिति ज्यादा खराब है, वहां कई जगह बच्चे पहुंच ही नहीं पाते। साथ ही शिक्षक-शिक्षिकाओं की स्थिति भी खराब ही है।
स्वास्थ्य : कुपोषण और अस्पतालों की दयनीय स्थिति कारण
स्वास्थ्य विभाग के सुधार की दिशा में प्रयास काफी कमजोर हैं। कहीं स्टॉफ की किल्लत तो कहीं स्टॉफ होने के बावजूद संसाधनों की कमी को आधार बनाकर काम टाला जा रहा है। साथ ही कुपोषण की दिशा में न स्वास्थ्य विभाग ढंग से काम कर रहा है न ही महिला बाल विकास विभाग। इसी का नतीजा है कि अभी भी जिले में कुपोषण की स्थिति काफी दयनीय है। इसमें सुधार न के बराबर ही हो पाया है।
अमृत सरोवर का काम भी अधूरा
नीति आयोग के तहत बनाए जाने वाले अमृत सरोवरों का काम भी अधर में है। पिछले साल गर्मी के सीजन में शुरू हुआ काम रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। मॉनीटङ्क्षरग के अभाव में यह काम लगातार पिछड़ता गया। बीते साल जो तालाब बन गए थे वे ही बनकर रह गए बाकि आगे का काम ज्यादा रफ्तार से नहीं हो पाया। इसी कारण नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में जिले का आंकड़ा और भी बिगड़ गया।
जिले में प्रयास बी
नीति आयोग की दिशा में राजगढ़ जिले में प्रयास बी किए जा रहे हैं। जिसके माध्यम से स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस, लाइब्रेरी, रोबोटिक लैब और अस्पतालों में अतिरिक्त सुविधाएं, आधुनिक आंगनबाड़ी केंद्र, सोलर पैनल वाले आंगनबाड़ी इत्यादि शामिल हैं। इन्हें लेकर कुछ प्रोजेक्ट जिले में चल रहे हैं, जिनका काम होना शेष है। उनके पूरे होने के बाद काफी हद तक इस आंकड़े में सुधार की गुंजाइश मानी जा रही है।