दरअसल, ब्यावरा सोसायटी केंद्र के ऑपरेटर राजू सौंधिया के शिवधाम कॉलोनी स्थित घर पर प्रशासन की टीम ने गुरुवार सुबह आठ बजे दबिश दी। नायब तहसीलदार एसएस पटेलिया और टीम ने उसके घर से १६० क्विंटल सरकारी गेहूं, ३६० सरकारी बारदाने और एक सिलिंग मशीन बरामद की। माना जा रहा है कि उक्त गेहूं का अवैध रूप से कहीं परिवहन करने की तैयारी थी या अवैध रूप से बेचने की योजना संबंधित व्यक्ति बना रहा था।
फिलहाल एसडीएम के समक्ष सभी जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारियों के बयान लिए गए। पूरी जांच के बाद ही उचित कार्रवाई होगी। वहीं, ऑपरेटर का तर्क है कि गेहूं गोडाउन में जमा करने ले जा रहे थे। कुछ गेहूं स्टॉक में कम हो गए थे तो बाजार से खरीदकर स्टॉक पूरा करने के लिए गेहूं लाए गए थे। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि गेहंू कम पड़ भी गए थे या उन्हें गोडाउन भेजना भी थे तो ऑपरेटर के घर क्यों और कैसे पहुंचे?
सवालों के घेरे में समर्थन मूल्य की खरीदी?
समर्थन मूल्य पर की गई खरीदी शुरू से ही विवादों में रही है। किसानों की छुट-पुट व्यवस्थाओं के अलावा गड़बड़ी के बड़े आरोप भी लगे हैं। इनमें पहले कयास लगाए गए अकेले ब्यावरा मंडी में हजारों क्विंटल गेहूं की हेर-फेर हुई है। साथ ही महज बोनस (२६५ रुपए) लेने के लिए भी उस गेहूं को भी दर्शा दिया गया जो बेचा ही नहीं गया। यदि प्रशासन पूरा रिकॉर्ड और स्टॉक खंगाले तो पूरी हकीकत सामने आए? फिर भी सूत्रों की मानें तो करोड़ों की हेर-फेर खरीदी में की गई है।
सूचना मिली थी कि गेहूं मिले हैं, बाकी जानकारी एसडीएम के पास है। यदि हमारा कर्मचारी गल पाया जाता है और अवैध रूप से गेहूं मिले हैं तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।
-आरएस गौर, जिला पंजीयक, सहकारिता, राजगढ़
मौके पर जाकर हमारी टीम ने 16 0 क्विंटल गेहूं, 360 बारदाने और सिलिंग (सिलाई) मशीन बरामद की है। सोसायटी के ऑपरेटर के घर से ही ये सामान मिले हैं।
-अंजली शाह, एसडीएम, ब्यावरा खरीदी केंद्र से बाहर गेहूं या उपज ले जाने का किसी को अधिकार नहीं है। यदि गेहूं कम पड़ भी गया था या सफाई करना थी तो केंद्र के आस-पास ही करना जरूरी है।
-बीएम गुप्ता, जिला प्रबंधक, नॉन, राजगढ़