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एक दिन में 64 पट्टे की जमीनों की पंजीयन अनुमति, हस्ताक्षर भी अलग

जिला फर्जी रजिस्ट्रियों को लेकर लंबे समय तक पूरे प्रदेश में सुर्खियों में रहा है।

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Fear of forgery in lease land sale

Rajgarh Different signatures in these registries and all the approvals shown in a day.

राजगढ़. जिला फर्जी रजिस्ट्रियों को लेकर लंबे समय तक पूरे प्रदेश में सुर्खियों में रहा है। हालांकि मामला उजागर होने के बाद कई तरह के प्रतिबंध और फर्जी रजिस्ट्री कराने वालों के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कराई गईं। इन मामलों में लिप्त करीब एक दर्जन लोग जेल की हवा भी खाकर आए, लेकिन जैसे ही मामले ठंडे हुए एक बार फिर फर्जी रजिस्ट्री के कारोबारियों ने अपना जाल फैलाना शुरू कर दिया।
राजगढ़ जिले में अधिकतर भूमि शासकीय पट्टे की हैं। ऐसे में कलेक्टर की अनुमति के बगैर रजिस्ट्री नहीं हो सकती, लेकिन जालसाजों ने इसका भी रास्ता निकाल लिया और कई रजिस्ट्रियों में फर्जी अनुमति लगा दीं। लंबे समय से मामले में सुराग लग रहे थे। हाल ही में पत्रिका को मिले दस्तावेजों ने इस मामले को और भी पुख्ता कर दिया। जहां एक ही तारीख में 64 रजिस्ट्रियों की अनुमति होना सामने आया है। इसके तहत जो अनुमति मिली है उनमें भी अधिकारियों के हस्ताक्षर आपस में मेल नहीं खा रहे। ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में एक ही दिन में इतनी अधिक अनुमति कहां से हुईं और कलेक्ट्रेट में वह कौन अधिकारी या कर्मचारी है जो इस पूरे कारनामे को अंजाम दे रहा है। यह जांच का विषय है।

देखें एक नजर में क्या है मामला
खिलचीपुर शहर फर्जी रजिस्ट्रियों को लेकर पिछले दिनों काफी चर्चा में रहा। शिकायत पर जब जांच हुई तो सर्वे क्रमांक 1127 की शासकीय भूमि के चार पट्टे भी हाल ही में निरस्त हो गए। इसी मामले में जब अन्य रजिस्ट्रियों के दस्तावेज एकत्रित किए तो उनमें 30 सितंबर 16 में तत्कालीन अपर कलेक्टर बीएस कुलेश के नाम से 64 जमीनों की रजिस्ट्री के लिए अनुमति देना सामने आया। जब इन अनुमति की गहनता से जांच की तो अशोक गुप्ता, अमित श्रीवास्तव, कुसुमलता शर्मा, पर्वतसिंह आदि की अनुमति पर जो हस्ताक्षर हैं वह अलग हैं और इन अनुमति क्रमांक 333 से लेकर338 तक है।
इसी तारीख में प्रकरण क्रमांक 269 पर प्रेमसिंह, गीताबाई, कस्तूरीबाई आदि की रजिस्ट्री पर अलग हस्ताक्षर हैं। सवाल उठता है कि इनमें से किस रजिस्ट्री को अलग और गलत समझा जाए।

मुश्किल होता है अनुमति लेना
पट्टा की जमीन की अनुमति को लेकर लोग सालों से तहसील से लेकर एडीएम कार्यालय तक चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी अनुमति नहीं हो रही है। इनमें बंदोबस्त के बाद की रजिस्ट्री हो या फिर हरिजन पट्टे आदि सभी में कलेक्टर की अनुमति अनिवार्य है। किसी भी दिन यदि अनुमति होती भी है तो सरकारी आंकड़ा ही बताता है कि एक दिन में अधिकतम दो से पांच अनुमति ही हो सकती हैं। लेकिन जिस तरह से यह मामला सामने आया यह एक बड़ी जालसाजी की तरफ इशारा कर रहा है।
& राजगढ़ छोड़े लंबा समय हो गया है। ऐसे में स्पष्ट नहीं कह सकता इस मामले में, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में रजिस्ट्री की अनुमति एक दिन में नहीं दी गई।
बीएस कुलेश, तत्कालीन एडीएम राजगढ़