दरअसल, ब्यावरा से लगे कानडिय़ाखेड़ी, भूखनी, लालपुरिया, रपनपुरिया और तरेना के ग्रामीणों की भरपूर सोयाबीन कटौती और खेती-किसानी के सीजन में फजीहत हो गई है। न उनके बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं और न ही मवेशी जंगल में। गांव के लोगों को करीब चार से पांच फीट पानी में रिस्क लेकर बाइकें निकालना पड़ रही है। वहीं, अनजान लोग उक्त पानी में गिर, पड़ रहे हैं। करीब दो तीन साल से कायम इस परेशानी की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
बाइक सहित गिरे दंपती, बमुश्किल निकाला
इमरजेंसी सुविधा के लिए गांव के लोग इसी मार्ग पर पानी में ही बाइक निकालकर जैसे-तैसे निकल रहे हैं। रविवार को सोयाबीन काटने राजगढ़ के आंबासेल से आए विजयसिंह और उनकी पत्नी इस मार्ग पर हादसे का शिकार हो गए। उन्होंने आगे जा रहे अन्य बाइक सवार को देखकर बाइक तो पानी में उतार दी लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं रहा तो बाइक सहित गिर गए। इसके बाद आस-पास के ग्रामीणों ने बमुश्किल उन्हें निकाला। गांव के सूरजसिंह, मुकेश सौंधिया सहित अन्य ने बताया कि रास्ते पर पानी होने से काफी फजीहत हो रही है।
15 दिन से स्कूल नहीं जा पा रहे बच्चे
गांव से शहर पडऩे जाने वाले करीब दो से ढाई दर्जन बच्चों का भविष्य भी इस पानी ने उलझा दिया है। न गांव में स्कूल वाहन पहुंच पा रहा न ही बच्चे बाहर जा पा रहे। इससे उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़़ रहा है। गांव के भगवानसिंह सौंधिया, विष्णुसिंह, रामनारायण, पर्वतसिंह, रोडज़ी सहित अन्य ने बताया कि बच्चे 15 दिन से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। डेम से लेकर गांव का जो मुख्य मार्ग वह पानी के कारण बंद है। पिछली बार पुल के बगल में डाली गई मूरम भी बह गई। अभी तक विभाग ने उक्त ग्रामीणों के लिए कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया।
हमारे एसडीओ, इंजीनियर पहुंचे हैं
उन लोगों की दिक्कत अपनी जगह सही है, लेकिन नीचे के गांव वाले पानी नहीं छोडऩे दे रहे, 100-150 लोग जमा हो गए थे। हमने एसडीओ, इंजीनियर को भेजा है, उन्होंने पानी छोडऩा शुरू करवाया है, जल्द ही रास्ता क्लीयर हो जाएगा।
-अशोक पांडेय, एसडीओ, जल संसाधन विभाग, राजगढ़