आने वाले समय में बोर्ड परीक्षाओं के साथ ही लोकल परीक्षाएं होनी हैं। बच्चों का परीक्षा परिणाम बेहतर हो और अच्छे नंबरों से बच्चे पास हों, इसको लेकर नियमित क्लासों के अलावा अतिरिक्त क्लास लगाने के लिए शासन ने निर्देश दिए हैं। इसके तहत कक्षा आठवीं और कक्षा पांचवीं के बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दिया जाना है। जिन विद्यार्थियों को कोर्स अभी तक पूरा नहीं हुआ है उनका कोर्स इन अतिरिक्त कक्षाओं को लगाने के साथ पूरा किया जाना है। लेकिन इस अटैचमेंट व्यवस्था ने कई स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का भविष्य अधर में डाल रखा है। क्योंकि यह अटैचमेंट कोई सीधे नहीं हो रहे बल्कि इसमें खुद जिम्मेदार ही अनुशंसा कर शासन के ही नियमों को ताक पर रखकर अटैचमेंट करवा रहे हैं। कोई अटैचमेंट राजनीतिक स्तर पर हो रहे हैं, तो कुछ में वरिष्ठ अधिकारी ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को फ ोन पर ऐसा करने के लिए कह रहे हैं।
मर्जी के अटैचमेंट
हाल ही में आई ट्रांसफ र नीति के बाद कई शिक्षक यहां से वहां हुए, लेकिन कुछ ऐसे शिक्षक जो अभी भी अपना स्थानांतरण नहीं करा पाए। वह अटैचमेंट करवा कर व्यवस्थाओं को बिगाडऩे में लगे हुए हैं। जिले में ऐसे लगभग 30 अटैचमेंट हैं। जबकि सिर्फ राजगढ़ ब्लॉक में ही 7 से 8 शिक्षकों को अटैच कर रखा है।
कुछ अधिकारी बन बैठे
यहां कुछ अधिकारी लंबे समय से न सिर्फ कलेक्ट्रेट भवन में बल्कि विभिन्न निर्वाचन कार्यालय में अटैच हैं। अब वे अपने आप को शिक्षक की जगह अधिकारी ही समझने लगे हैं। ऐसे में वे स्कूलों में पढ़ाने जाना ही नहीं चाहते। क्योंकि जिला मुख्यालय पर बैठकर ही वे पढ़ाने की जगह लिपिकीय कार्य में निपुण हो चुके हैं।
&अटैचमेंट हमारे कार्यालय से नहीं बल्कि जिला शिक्षा कार्यालय से होते हैं, वहीं चर्चा करनी होगी।
विक्रम सिंह राठौर, डीपीसी
&हर दिन हम टायलेट की सफाई करवाते हैं, एक रेलवे के सफाईकर्मी के अलावा दो हमने निजी कर्मचारी इसीलिए रखे हैं। फिर भी यदि कहीं दिक्कत है तो उसे ठीक करवाएंगे, जनता के उपयोग के हिसाब से बनवाएंगे।
पीएस मीना, स्टेशन मास्टर
हाल ही में आई ट्रांसफ र नीति के बाद कई शिक्षक यहां से वहां हुए, लेकिन कुछ ऐसे शिक्षक जो अभी भी अपना स्थानांतरण नहीं करा पाए। वह अटैचमेंट करवा कर व्यवस्थाओं को बिगाडऩे में लगे हुए हैं। जिले में ऐसे लगभग 30 अटैचमेंट हैं। जबकि सिर्फ राजगढ़ ब्लॉक में ही 7 से 8 शिक्षकों को अटैच कर रखा है।
कुछ अधिकारी बन बैठे
यहां कुछ अधिकारी लंबे समय से न सिर्फ कलेक्ट्रेट भवन में बल्कि विभिन्न निर्वाचन कार्यालय में अटैच हैं। अब वे अपने आप को शिक्षक की जगह अधिकारी ही समझने लगे हैं। ऐसे में वे स्कूलों में पढ़ाने जाना ही नहीं चाहते। क्योंकि जिला मुख्यालय पर बैठकर ही वे पढ़ाने की जगह लिपिकीय कार्य में निपुण हो चुके हैं।
&अटैचमेंट हमारे कार्यालय से नहीं बल्कि जिला शिक्षा कार्यालय से होते हैं, वहीं चर्चा करनी होगी।
विक्रम सिंह राठौर, डीपीसी
&हर दिन हम टायलेट की सफाई करवाते हैं, एक रेलवे के सफाईकर्मी के अलावा दो हमने निजी कर्मचारी इसीलिए रखे हैं। फिर भी यदि कहीं दिक्कत है तो उसे ठीक करवाएंगे, जनता के उपयोग के हिसाब से बनवाएंगे।
पीएस मीना, स्टेशन मास्टर