यही कारण है कि अब यह ट्रक रात के अंधेरे में ही नहीं, दिन दहाड़े भी हाईवे पर ओवरलोड़ होकर दौड़ रहे हैं। इनकी तुलाई भी कहीं ओर नहीं, आरटीओ कार्यालय से २०० मीटर की दूरी पर ही हो रही हैं। शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी से पूर्व में ही परिवहन करने वाले ठेकेदारों द्वारा ट्रकों की पासिंग के अनुसार उनका वजन तय करते हुए भोपाल से टेंडर प्रक्रिया होती हैं।
ठेकेदार टेंडर को लेने के लिए कम वजन के टेंडर डालते है, लेकिन यह पहला साल नहीं है, जब इस तरह ट्रकों में ओवरलोडि़ंग परिवहन किया जा रहा हैं। हर बार निर्धारित से दो गुना तक गेहूं का परिवहन करते हैं। जबकि ट्रकों के राउड निर्धारित पासिंग के अनुसार ही दर्शाये जाते हैं। ऐसे में आने जाने का भाड़ा बढ़ा दिया जाता हैं।
हादसे का डर: जिस जगह हाईवे पर तौल कांटा लगा हुआ है, वहां पास में ही केन्द्रीय विद्यालय को जोडऩे वाला रास्ता हैं। दोनों तरफ ट्रकों की कतारें और छोटा सा रास्ता होने के कारण बाजू से आने वाले वाहन नजर नहीं आते। वही हाईवे से आने वाले वाहनों को भी यह रास्ता नजर नहीं आता। जबकि इस रास्ते पर कई बच्चों के साथ ही बच्चों से भरे हुई वाहन निकलते हैं। कही ट्रकों की यह लंबी कतारें किसी हादसे का कारण न बन जाए।
हाईवे से सटे तौल कांटे के कारण हो रहे परेशान
शहर के सरकारी वेयर हाऊस की सीमा में हाईवे से सटाकर तौल कांटा लगवा दिया गया हैं। जबकि हाईवे के पास ऐसी किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं होती हैं, लेकिन यह अनुमति भी अवैध रुप से दे दी गई। अब जबकि जिलेभर के गेहंू, यहां तुलाई के लिए आ रहे हैं। जिसके कारण स्थानीय लोगों को ही नहीं। अपितु हाईवे से निकलने वाले अन्य वाहनों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं।
ये सही है कि अधिक गेहंू ट्रकों से लाया जा रहा हैं, लेकिन यह शासन की जरुरी सेवाओं में शामिल हैं। इसलिए यह किया जा रहा हैं, कही ऐसा न हो। मंडी में पड़ा गेहंू खराब हो जाए। इसलिए इस तरह उसे उठवाया जा रहा हैं।
– वीके गुप्ता, नागरिक आपूर्पि निगम, राजगढ़
पांच दिन से खरीदी नहीं हुई तो किसानों का हंगामा
ब्यावरा. कभी परिवहन तो कभी एसएमएस सहित अन्य दिक्कतों के साथ ही समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के केंद्रों पर किसानों की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही। मंगलवार को कांसौरकला स्थित वेयरहाउस में पांच-पांच दिन से तुलाई का इंतजार कर रहे किसानों ने उस वक्त हंगामा कर दिया जब उन्हें छोड़ केंद्र पर किसी अन्य की तुलाई कर दी गई।
मौके पर मौजूद किसानों ने आरोप लगाया कि हमें 11 अप्रैल को मैसेज आए, हम उस दिन भी उपज लेकर पहुंचे,लेकिन तुलाई नहीं हुई। बाद में हम लगातार इंतजार करते रहे,लेकिन आज दिनांक तक हमारा नंबर ही नहीं आया। खरीदी केंद्रों पर मनमाने ढंग से किसानों की उपज बिना किसी टोकन नंबर के तोलने का आरोप किसानों ने लगाया है। चमारी से आए बद्रीलाल यादव, सुरेशचंद्र, बृजेश सहित अन्य ने कहा कि 11 को हमें एसएमएस मिला और हम तुलाई के लिए भी पहुंचे, लेकिन तुलाई नहीं हुई।
आज भी जब पहुंचे तो तौलने से मना कर दिया गया। करीब दर्जनभर किसान चार-पांच दिन से वेयर हाउस पर इंतजार कर रहे हैं,लेकिन तुलाई में नंबर ही नहीं आ रहे। इसी को लेकर किसानों ने हंगामा कर दिया और तुलाई में भेद-भाव पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। बाद में मौके पर पहुंचीं एसडीएम और तहसीलदार ने स्थिति का जायजा लिया और मामला शांत करवाया।
गेहूं खरीदे, लेकिन 15 दिन बाद भी पैमेंट नहीं
किसानों की समस्या तुलाई तक ही सीमित नहीं है, बेचने के बाद पैमेंट के लिए भी किसानों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। मानकी गांव के राकेश सौंधिया ने 29 मार्च को गेहूं बेचे थे, जिनका पैमेंट आज दिनांक तक नहीं क्लीयर हो पाया। उसने 181 सहित अन्य तमाम अधिकारियों से शिकायत की,लेकिन हल नहीं निकला। राकेश ने बताया कि कांसौरकला केंद्र पर २९ मार्च को १६ क्विंटल ४८ किलो गेहूं बेचे थे, जिसका रिकॉर्ड तक पोर्टल पर अभी नहीं चढ़ा है। वहीं पर बेचने वाले करीब 121 अन्य किसानों को बाद में गिंदौरहाट केंद्र में ट्रांसफर कर दिया। कई किसानों के पैमेंट आ गए,लेकिन अभी तक कई ऐसे भी हैं जिन्हें पैमेंट नहीं मिल पाया है। समय पर पैमेंट क्लीयर नहीं होने से भी दिक्कतों का सामना किसानों को करना पड़ रहा है।
हम नॉर्मल विजिट पर वेयर हाउस गए थे, ज्यादा दिक्कत नहीं है। जो तारीख एसएमएस के हिसाब से दी है उसी हिसाब से किसानों को बुलाया जा रहा है। यदि तय तारीख में संबंधित किसान नहीं पहुंच पाता तो उसकी उपज आखिरी में तुलाई का नियम है। फिर भी जो मौजूद रहते हैं उन किसानों की तुलाई को प्रथामिकता दी जाती है, बाकी पैमेंट को लेकर क्या परेशानी है मैं दिखवाती हूं।
-अंजली शाह, एसडीएम, ब्यावरा