दरअसल, जिलेभर में एमपी आरटीई का पोर्टल सभी स्कूलों का अलग-अलग चालू है, लेकिन ब्यावरा के साथविभागीय स्तर पर अनदेखी की जा रही है। इस अनदेखी के कारणकाम नहीं हो पा रहे हैं। पोर्टल बंद होने से न नवीनी करण हो पा रहा है और ना ही मान्यता के लिए अप्लाय हो पा रहा है। साथ ही अन्य विभागीय स्तर पर पोर्टल के माध्यम से होने वाले काम अटके पड़े हैं। ब्लॉक के निजी स्कूल संचालक कई बार लिखित और मौखिक शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं हो पाया है। ब्यावरा के स्कूल संचालकों ने सीधा आरोप लगाया है कि विभागीय स्तर पर अवैध वसूली का काम चल रहा है। एपीसी और डीपीसी के माध्यम से यह यह पोर्टल चालू किया जाता है, लेकिन जो लोग सीधे राशि दे देते हैं।
उनके पोर्टल चालू कर दिए जाते हैं और जो रुपए नहीं देते उनके बंद कर दिए जाते हैं। ऐसा ही हो रहा है, ब्यावरा - सुठालिया के करीब 63 ऐसे स्कूल है जहां के पोर्टल बंद हैं, जबकि जिले के अन्य ब्लॉक और ब्यावरा के ही कुछ अन्य स्कूल के पोर्टल आसानी से चल रहे हैं। ऐशे में यहां सीधे तौर पर अवैध वसूली ही की जा रही है।
हर स्कूल का अलग लॉगिन - पासवर्ड, कमांड डीपीसी के पास
जानकारी के अनुसार, इन निजी स्कूलों में एमपी-आरटीई का पोर्टल होता है। जिसके लिए हर स्कूल का अपना निजी आइडी और पासवर्ड होता है। इसकी पूरी कमांड डीपीसी और एपीसी के पास होती है, वे ही इसे चालू करते हैं और अनुमति प्रदान करते हैं। ब्यावरा के इन स्कूलों में अनुमति नहीं मिल पाने के कारण पूरा काम अटका हुआ है। इससे उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने अब सीधे आरोप लगाए हैं कि इस अवैध वसूली की शिकायत वरिष्ठ कार्यालय और अफसरों को करेंगे।
वैसे कोई रुपए ले यह संभव नहीं है, संबंधित स्कूल संचालक किसी को कोई राशि न दें। वे एपीसी से बात करें। यदि जानबूझकर पोर्टल बंद किए गए हैं, तो मैं दिखवाता हूं। उनका जल्द ही निराकरण किया जाएगा।
- बी. एस. इंदौरिया, डीपीसी, राजगढ़