दरअसल, हर दिन किसान उपज लेकर तहसीलदार, एसडीएम के पास पहुंच रहे हैं, कलेक्टोरेट के साथ ही जनप्रतिनिधियों को भी अवगत करवा रहे हैं। सर्वाधिक बारिश के कारण सोयाबीन में बांझपन की दिक्कत आ गई, पौधों की लंबाई बढ़ गई लेकिन उमें फल नहीं आ पाया। अफलन के कारण कहीं-कहीं तो शत-प्रतिशत नुकसान हो गया। ऐसे में अब कृषि विभाग द्वारा इसे बीमा के दायरे में लाया गया है। किसानों द्वारा सीसीबी सहित अन्य बैंकों में जमा केसीसी के साथ जमा की गई फसल बीमा की प्रीमियम के आधार पर अफलन को भी भी नुकसान के दायरे में रखा गया है। बीमा कंपनियां नियमानुसार इसमें तय दरों से किसानों को भुगतान करेंगी।
कॉफ्ट कटिंग और सर्वे करने फील्ड में जाने वाली कृषि विभाग की टीमों ने पाया कि उन्हें उपज की देख-भाल करने का समय ही नहीं मिल पाया। मौसम में इतनी इजाजत ही नहीं दी कि उन्हें पर्याप्त दवाई, कीटनाशक का छिड़काव किया जा सके। न ही निंदाई, गुढ़ाई सहित खरपतवार नष्ट करने का मौका मिला।
ग्राम पंचायत भीलवाडिय़ा और चाठा के किसानों ने सोमवार तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। जिसमें पूरी तरह नष्ट हो चुकी फसलें लेकर वे पहुंचे और मांग की कि हमें उचित मुआवजा दिलवाया जाए। किसानों ने कहा कि कई खेतों में तो हालात ऐसे हैं कि वहां एक प्रतिशत भी फल नहीं लगे।
अभी रिपोर्ट नहीं आई, औसत आंकनल करेंगे
अभी टीम फील्ड में घूम रही है, उसी आधार पर नुकसान का औसत आंकलन किया जाएगा। अभी रिपोर्ट नहीं आई है लेकिन सोयाबीन का नुकसान प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ है। ऐेसे में बीमा राशि का लाभ किसानों को मिलेगा, इसके अलावा अतिरिक्त निर्देश निर्देश हमें नहीं मिले हैं।
– हरीश कुमार मालवीय, उप-संचालक, कृषि विभाग, राजगढ़