बुधवार को वे डैम के ही पानी में सुबह से जल सत्याग्रह करने बैठ गए। इसकी सूचना लगने के बाद एसडीएम, टीआई और मोहनपुरा सिंचाई परियोजना के इंजीनियर मौके पर पहुंच गए। उन्होंने ग्रामीणों को निकलवाने के लिए उनसे चर्चा की और क्या उनकी मांग है विस्तार से सुनने के बाद शीघ्र ही निराकरण का आश्वासन दिया। तब जाकर करीब 7 घंटे के बाद ग्रामीण पानी के बाहर आए।
जल सत्याग्रह में शामिल 80 साल की जमुना भाई और सीताराम, कन्हैयालाल, अमर सिंह ने बताया कि हर तरह के दस्तावेज हम सिंचाई परियोजना के कार्यालय, एसडीएम कार्यालय में जमा करा चुके हैं। लेकिन कहीं से भी कोई मुआवजा कि हां करने तैयार नहीं है। जबकि किसी का घर डूब रहा है तो किसी की जमीन और कई ऐसे युवा हैं जो व्यस्त हो चुके हैं। ऐसे में अपनी मांग ऊपर तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने बुधवार को जल सत्याग्रह शुरू कर दिया। इसमें युवा, वृद्ध और महिलाएं व बच्चे सभी शामिल थे।
दो जगह किया जल सत्याग्रह
ग्रामीणों ने दो अलग-अलग जगह पर जल सत्याग्रह शुरू किया। इसमें सूरजपुरा गांव के लोगों ने बामलावे से लगभग एक किलोमीटर दूर अपना विरोध जाहिर किया। जबकि मोहनपुरा गांव के लोगों ने नवीन मोहनपुरा और बंजारेकापुरा के पास में जल सत्याग्रह किया। सुबह आठ बजे से ही यह ग्रामीण पानी में उतर गए थे। उसके बाद एक के बाद एक अपनी मांगें मनवाने के लिए यह पानी के अंदर जाते गए। इनमें पुरुषों के बाद महिलाएं भी अपनी मांग मनवाने पानी में चली गईं। यही नहीं कुछ बच्चे भी पानी के अंदर थे, उन्हें पुलिस ने पहुंचते ही होमगार्ड की मदद से बाहर निकलवा लिया था।
ग्रामीणों द्वारा जल सत्याग्रह करने की सूचना एक दिन पहले ही अधिकारियों के पास पहुंच चुकी थी। लेकिन इस मामले में किसी ने भी कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद दूसरे दिन सुबह से ही ग्रामीण पानी में उतर गए। उसके बाद सबसे पहले पुलिस बाद में तहसीलदार राकेश खजूरिया उसके बाद एसडीएम संदीप अस्थाना और आखरी में मोहनपुरा सिंचाई परियोजना के कार्यपालन यंत्री धर्मेन्द्र भंडारी मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों को समझाते हुए पानी से बाहर निकलवाया।